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९८. पत्र : किशोरलाल मशरूवालाको

कोयम्बटूर
१७ अक्टूबर, १९२७

तुम्हारे तीनों पत्र मिले। चोरीसे सम्बन्धित[१] पत्र देरसे मिला। लेकिन उसे भी तीन दिन हो गये हैं। तुम्हारे दूसरे पत्रमें जो पहले मिल गया था, जल्दी जवाब देनेका कोई आग्रह नहीं था। इसलिए मैंने तार नहीं दिया। फिर इसके पहले लिखनेका समय भी नहीं मिला। जिसमें तुमने शक्तिकी बातकी थी वह पत्र कल मिला। उससे लगा कि तुम चोरीसे सम्बन्धित पत्रके जवाबकी राह देख रहे हो। इसलिए आज तार भेजा है।[२] वह मिल गया होगा। तारसे उत्तर पूरा-पूरा तो नहीं दिया जा सका है।

हम समाजमें रहते हैं किन्तु कुछ बातें ऐसी हैं जिनमें हम समाजके व्यवहारका अनुसरण नहीं कर सकते । समाज अहिंसाको नहीं मानता या यों कहो कि अहिंसाका पालन नहीं कर सकता, इसलिए वह चोरको दण्ड देता है। किन्तु जो अहिंसाका प्रयोग कर रहा हो, जिसमें अहिंसाका प्रयोग करनेकी हिम्मत हो, उसे ऐसी परिस्थिति- में तटस्थ रहना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह अहिंसा धर्मका पालन करना सीख नहीं सकता और इसलिए समाज उस दिशामें आगे नहीं बढ़ सकता । यदि मेरा यह विचार ठीक है तो फिर तुम गवाही देने नहीं जा सकते। हाँ, जब- दस्ती बुलाया जाये तो जाना चाहिए। उस हालतमें तो तुम्हें न्यायाधीशको अपना धर्म समझाना चाहिए। यदि इसके बाद तुम्हारी गवाहीके बिना वह ठीक समझे तो चोरको दण्ड दें अथवा दूसरा कोई प्रमाण न मिलनेपर उसे छोड़ दें।

यहाँतक तो मुझे रास्ता स्पष्ट दिखता है, किन्तु चोरके प्रति दयाकी प्रार्थनाका अधिकार तुम्हें नहीं है। उसके प्रति दया तुम्हारे मनमें कब उत्पन्न हुई ? वह जिस समय आया था उस समय आई होती तो तुम्हें या गोमतीको[३] डर न लगा होता और न चोरके पीछे दौड़नेकी ही जरूरत होती । वह माल ले जाता और तुम इस बातको सहन कर लेते। अभी हम इतने ऊँचे नहीं उठे, हमारा भय अभी गया नहीं है, मालिकीका मोह छूटा नहीं है, इसलिए दयाकी भावना मुझे उपयुक्त नहीं मालूम होती। कारण, वह कृत्रिम है। हम ऐसी दयाका विकास करनेका प्रयत्न अवश्य करें, हम कर भी रहे हैं। किन्तु जबतक वह भावना हमारे मनमें बद्धमूल नहीं हुई है

  1. १. एक चोर किशोरलाल मशरूवालाके घरसे एक सन्दूक उठाते हुए पकड़ा गया था। निचली अदालत में उन्होंने अभियुक्तके विरुद्ध गवाही दी लेकिन मजिस्टेटसे चोरको क्षमा कर देनेका अनुरोध किया था। इसीबीच उन्होंने गांधीजीसे राय मांगी और राम मिलनेपर उन्होंने सेशन अदालत में गवाही देनेसे इनकार कर दिया।
  2. २. तार उपलब्ध नहीं है।
  3. ३. किशोरलाल मशरूवालाकी पत्नी ।