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पत्र : मीराबहनको

अजनबी चीज नहीं बन जाना चाहिए। तुम पूरी तरह एक निजी मामलेमें उनकी भावनाओंके प्रति लिहाज दिखाओगी, उसकी वे कद्र करेंगी।

मेहमानघरके बारेमें तुम्हारे सुझाव प्रशंसनीय थे । यदि तुम उन्हें बिना विरोध पूरा कर सको तो ऐसे सभी मामलोंमें मेरी स्वीकृति तुम पहलेसे ही मान ले सकती हो । यदि असावधानी और गन्दगी हटाने के आग्रहका मतलब अनबन फैलना हो तो हमें हर प्रकारकी लापरवाही और प्रत्यक्ष गंदगीको भी सहन करना चाहिए। लेकिन जो अस्वच्छता स्वास्थ्यके लिए हानिकर हो, अनबन हो या न हो, उसे तो खत्म कर ही देना चाहिए। मेरा क्या आशय है, तुम समझ गई होगी ।

आश्रममें रहनेवाले जितने ज्यादा लोगोंके निकट आ सको, आओ। और यदि तुम छोटेलालके दोषोंको अनदेखा कर सको तो यह बहुत शुभ होगा। तुम आश्रमकी भावना और वातावरणको आत्मसात् कर सको, इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम कोई कड़ी समय-सूची बनाकर काम मत करो। अपने कई घंटे अपने लिए रखो ताकि जो-कुछ सामने आये, उससे निपटनेके लिए तुम मुक्त रहो ।

हाँ, दुग्धशालामें कठोर सफाईपर अवश्य आग्रह रखो। लेकिन यहाँ भी उच्च- तम स्तर प्राप्त करनेके लिए साथियोंको रुष्ट मत करो । जो चीज अभीतक कोई प्रत्यक्ष नुकसान किये बिना चलती रही है, उसे थोड़े समय और बर्दाश्त किया जा सकता है।

तुम अम्बालालके यहाँ गई, यह अच्छा किया। अपने जिद्दी स्वभाव और अक्सर अपने नादानी-भरे और कटु निष्कर्षोंके बावजूद श्री अम्बालाल बहुत अच्छे आदमी हैं।

जबतक मैं तुम्हारे बीच हूँ तबतक बुनियादी सिद्धान्तोंकी रक्षाके लिए जो जरूरी है, उन्हें छोड़कर कोई अन्य कठोर व्रत लेनेकी अभी जरूरत नहीं है। जब मैं नहीं होऊँगा, उस समय स्वयं अपने विकासके लिए या जिस समाजमें तुम रह रही हो, उसके विकासके लिए क्या जरूरी है, इसका निर्धारण करनेके लिए तुम अपने विवेकका उपयोग करना ।

श्री सॉन्डर्ससे कहना कि जो किताब वे कहते हैं, उसे लिखना मेरे लिए कठिन है। बौद्धिक ढंगकी कोई चीज लिखना मेरे स्वभावके विपरीत है। और जो मनुष्य क्षणसे क्षणतक जी रहा है, उसको समय कहाँ मिलेगा ?

जबतक मैं और कुछ न लिखूं तबतक लंकामें मेरा पता कोलम्बो होगा ।

सप्रेम,

बापू

अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ५२८७) से ।
सौजन्य : मीराबहन



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