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भाषण : कोयम्बटूरकी सार्वजनिक सभामें

वे दानमें दिये गये जेवरोंके बदले नये जेवर प्राप्त करनेके लिए अपने पतियों या अपने माता-पिताओंको परेशान न करें। यदि आप अपनी गरीब बहनोंका दुख अनुभव करती हैं या करना चाहती हैं तो मैं चाहूँगा कि आप उनकी भलाईके लिए अपने जेवरोंका त्याग कर दें। उपहार स्वेच्छासे और बिना किसी दबावके दिये जाने चाहिए ।

याद रखिए, स्त्रीका सौन्दर्य उसके कपड़ों या जेवरोंमें नहीं बल्कि उसके हृदयकी निर्मलतामें होता है। आप मुझे अपने जेवर देती हैं या नहीं, यह तो छोटी बात है । लेकिन मैं यह जरूर चाहता हूँ कि आप इन सचाइयोंको, जिन्हें मैंने आपको अभी बताया है, अपने दिमागमें जरूर रखें। मैं अपने अनुभवके आधारपर आपसे कहता हूँ कि अधिक जेवर पहननेकी चाह करना कोई अच्छी बात नहीं है। पति लोग अकसर मुझसे कहा करते हैं कि मैं आपको जेवर और नफीस कपड़े सम्बन्धी अपनी धारणाओंको बदलनेकी सलाह दूं। मैं आपको बता सकता हूँ कि कुछ ऐसे पति हैं जिन्होंने मुझे यह विश्वास दिलाया है कि जो पत्नियाँ मेरे उपदेशसे प्रभावित हुई हैं, उन्हें स्वयं ऐसे प्रभावसे खुशी हुई है।

ईश्वर आपके द्वारा इस देशका कल्याण करे ।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १९-१०-१९२७

९४. भाषण : कोयम्बटूरकी सार्वजनिक सभामें

१६ अक्टूबर, १९२७

आपने मुझे जो अभिनन्दनपत्र और उपहार दिये हैं, उनके लिए मैं आप सबको धन्यवाद देता हूँ। मुझे विश्वास है कि आप यह नहीं चाहते कि जिन संस्थाओंने मुझे अभिनन्दनपत्र दिये हैं उनके या दान देनेवालों और उनके उपहारोंके नामोंका मैं ज़िक्र करूँ। जो चीज दरिद्रनारायणके निमित्त दी जाये, उसका कोई उल्लेख जरूरी नहीं है। मैं आपको सूचित कर दूं कि मुझे जितने भी अभिनन्दनपत्र दिये गये हैं उनके उपलब्ध अनुवादों या मूल अभिनन्दनपत्रोंको मैंने बड़े ध्यानपूर्वक पढ़ लिया है।

सबसे पहले मैं नगरपालिकाके अभिनन्दनपत्रको लूंगा । नगरपालिकाको मैं धन्य- वाद देता हूँ कि उसने अपने विचारोंको न केवल स्पष्ट रूपसे अत्यन्त सौजन्यताके साथ और दृढ़ताके साथ प्रकट किया है बल्कि उसने मुझे उस अभिनन्दनपत्रकी भी याद दिलाई है जो कोयम्बटूरकी मेरी पिछली यात्राके अवसरपर मुझे दिया गया था । अपने जीवनभर मुझे अपने प्रशंसकोंके मुकाबले अपने आलोचकोंसे ज्यादा लाभ पहुँचा है, विशेष रूपसे तब, जब मेरी आलोचना सौजन्यतापूर्ण और मैत्रीपूर्ण भाषामें की गई हो, जैसी कि इस अभिनन्दनपत्रमें की गई है। मुझे इस नगरपालिकासे जो पहला अभिनन्दनपत्र प्राप्त करनेका सम्मान मिला था उसमें असहयोगकी उपयोगिता, विशेष रूपसे स्कूलों और सरकारी सेवाओंमें असहयोगकी उपयोगितापर शंका व्यक्त