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भाषण : पालघाटकी सार्वजनिक सभामें

सहायता देना चाहूँगा, वह देनेकी शक्ति मुझमें होती। एक हिन्दूके नाते मुझे लगता है कि हमने उनके विरुद्ध जो अपराध किया है, उसमें मैं भागीदार हूँ। मैं चाहता हूँ कि यहाँ उपस्थित प्रत्येक स्त्री और पुरुषको मैं कायल कर सकूं कि हम उनके विरुद्ध स्वयं अपने विरुद्ध और अपने धर्मके विरुद्ध यह एक बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। मैं चाहता हूँ कि मुझमें आपको -- यहाँ उपस्थित सभी नर-नारियोंको यह समझा सकनेकी शक्ति होती कि इस प्रकार हम उनके प्रति, स्वयं अपने प्रति और अपने धर्मके प्रति घोर अन्याय कर रहे हैं। मेरा मन इस बात के लिए आकुल है कि मैं आपको समझा सकूँ कि आज हम हिन्दू धर्ममें जैसी अस्पृश्यता बरतते हैं, उसका कहीं कोई आधार-औचित्य नहीं है। इस भयंकर अन्यायके विरुद्ध मेरा सारा हिन्दुत्व विद्रोह कर उठता है। मैंने हमारे धर्म-ग्रन्थोंमें एजवाहा, पुलाया, नायडी आदिका उल्लेख पानेके लिए उन्हें छान डाला, लेकिन व्यर्थ । मैंने यहाँ, त्रावणकोरमें और अन्य स्थानोंपर विद्वान लोगोंसे पूरी विनम्रता के साथ मुझे यह बतानेको कहा है कि इन लोगोंको किस प्रकार अस्पृश्योंकी श्रेणी में रखा जा सकता है और किस प्रमाण पर। मैं आपसे कहता हूँ कि केवल प्रथाको छोड़कर इन भयंकर कृत्योंके लिए किसी प्रकारका कोई औचित्य या प्रमाण नहीं है। लेकिन अभीतक किसी व्यक्तिने मुझे यह बतानेका साहस नहीं किया है कि इस अनैतिक प्रथाके पीछे कोई धार्मिक प्रमाण या कारण है। अगर हम इतने आलसी न होते कि इन समस्याओंको खुद विचार करके सुलझा लें, यदि हमने अंधविश्वासके आगे अपने विवेकको गिरवी न रख दिया होता, तो हम पलक झपकते इस बुराईको दूर कर सकते थे। मैंने मनुष्योंके एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्गके मनुष्योंपर श्रेष्ठताका दावा जमानेका कोई औचित्य हिन्दू- धर्म या किसी भी धर्म अथवा किसी भी दार्शनिक विचारधारामें नहीं पाया है। यदि हम अपने अन्दर असमानताका यह सिद्धान्त पोसते हैं, तो हमें स्वराज्यकी बात सोचना शोभा नहीं देता। हम अपने मुँहसे बड़े विद्वत्तापूर्ण ढंगसे प्रजातान्त्रिक संस्थाओं की बात करते हैं, किन्तु अपने हृदयमें अन्य लोगोंको उन्हीं बुनियादी अधिकारोंसे वंचित करनेकी इच्छा पालते हैं जिन अधिकारोंकी बात हम मुँहसे करते मैं सभी विद्वान लोगोंसे, उन सभी लोगोंसे, जिन्हें हिन्दुओं और हिन्दू-धर्मका कल्याण प्रिय है, अनुरोध करता हूँ कि वे समय रहते चेतें और [ अस्पृश्यताके ] इस राक्षसपर घातक प्रहार करें। यदि आप राष्ट्रवादी हैं और देशके लिए आपके हृदय में दर्द और इसी कारण अपने देशके सबसे तुच्छ व्यक्तिके लिए भी आप सहानुभूति महसूस करते हैं तो आप उन स्थानोंमें जाइए जहाँ नायडी और पुलाया तथा भ्रमवश अस्पृश्य कहलाने- वाले अन्य लोग रहते हैं, और उनकी स्थितिको सुधारनेके काम में अपना जीवन लगा दीजिए ।

जब मुझे इन दो शिष्टमण्डलोंके मित्रोंने बताया कि कुछ कांग्रेसी लोग भी ऐसे हैं जो अस्पृश्यतामें विश्वास करते हैं और उन लोगोंको अपनेसे दूर रखते हैं, तो मुझे बड़ी पीड़ा हुई। मुझे यह जानकर खुशी होगी कि इन मित्रोंको गलत सूचना मिली है और ये आरोप सही नहीं है। किन्तु यदि ऐसे कांग्रेसी हों जो अस्पृश्यता में