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९२. भाषण : पालघाटकी सार्वजनिक सभामें

१५ अक्टूबर, १९२७

मित्रो,

मैं आपको आपके अभिनन्दनपत्रों तथा अनेक थैलियोंके लिए धन्यवाद देता हूँ। जैसा कि आप जानते हैं, पालघाटकी यह मेरी पहली यात्रा नहीं है। पिछली बार मेरे यहाँ आनेपर जो स्नेह आपने दिखाया था, वह मुझे अच्छी तरह याद है । मुझे खुशी है कि तालुका बोर्ड अपना कुछ ध्यान चरखेकी तरफ लगा रहा है। मुझे उम्मीद है आप अपने सभी स्कूलोंमें वैज्ञानिक रीतिसे कताई-कार्यका संगठन करेंगे। मुझे कल त्रिचूरमें करीब चार या पाँच सौ लड़के-लड़कियोंको कताई करते देखनेका मौका मिला था। वे दो हाई स्कूलोंके विद्यार्थी हैं। मैं यह तो नहीं कह सकता कि उनकी कताई बहुत उच्च कोटिकी थी, लेकिन फिर भी उन्हें कताई करते देखकर भला लगता था। लेकिन वह खुशी यह असंगत चीज देखकर नष्ट हो गई कि कताई करते हुए बालक-बालिकाएँ खद्दर नहीं, विदेशी कपड़े पहने हुए थे। मैं आशा करता हूँ कि यह असंगति आपके स्कूलोंमें मौजूद नहीं है। चरखेके फलितार्थको समझना आवश्यक है। हमारे लड़के-लड़कियाँ, या कि हमारे वे करोड़ों ग्रामीण भाई-बहन ही, जो लगभग भुख- मरीकी अवस्थामें जीते हैं, कितनी ही कताई करें, लेकिन आप आसानीसे समझ सकते है कि जबतक हम इस प्रकार काते गये सूतकी खादीका उपयोग नहीं करते, वह सब व्यर्थ होगा। इसलिए यदि आप सब चरखेके सन्देशका वास्तवमें समर्थन करते हैं -- और लगता तो यही है कि आप करते हैं- - तो मैं आपसे आदरपूर्वक अनुरोध करूंगा कि आप सब उसके प्रति सच्चे रहें और स्वयं खादीको अपनायें। इस दौरेमें में जहाँ-कहीं भी गया हूँ, मैंने इस सन्देशका हार्दिक समर्थन पाया है। लेकिन केवल मौखिक घोषणा, भले ही उसके साथ ठोस थैलियाँ भी हों, हमारे ७,००,००० गाँवोंके भूखसे पीड़ित करोड़ों लोगोंकी तकलीफ तबतक दूर नहीं कर सकती जबतक कि हम खद्दर पहननेको तैयार न हों ।

यहाँ आपके बीच 'शवरी आश्रम 'के नामसे एक आश्रम है। इसी शबरी आश्रमसे मुझे खादीका यह सुन्दर टुकड़ा प्राप्त हुआ है। मैंने देखा कि इस आश्रममें नन्हे-नन्हे बच्चे सूत कातते हैं, उनके नन्हे-नन्हे हाथ ही इसे बुनते भी हैं। मैं इसे सुन्दर इसलिए नहीं कह रहा हूँ कि यह उतना ही बारीक या मुलायम है, जितना कि आपने जो मिलका कपड़ा पहन रखा है, वह है। इसके पीछे जो एक इतिहास है, एक भावना है, उसके कारण मैं इसे सुन्दर कहता हूँ। यह खादीका टुकड़ा आपको तुरन्त उन बच्चों और करोड़ों गाँववासियोंके सम्पर्कमें रख देता है। इसका जो महत्त्व है, उसके कारण भी यह सुन्दर है। यदि कोई महान चित्रकार एक लाशको रंग कर उसे हमें एक सुन्दर कलाकृतिके नमूनेके तौरपर भेंट कर