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बातचीत : दलितवर्गीके शिष्टमण्डलोंके साथ

होगी। इसीलिए मैंने हर लड़के और हर लड़कीसे कहा है कि वह करोड़ों गरीब लोगोंके बारेमें सोचनेके लिए कमसे-कम आधे घंटेका समय अलग निकाल कर रख ले। मैंने आपसे कहा है कि आप अपने आपको इन करोड़ों लोगोंका न्यासी समझें । मैंने आपसे कहा है कि आप एक जीवन्त सम्बन्ध स्थापित करें जो आपको इन लोगोंके साथ बाँध दे, और यदि आप ऐसा करेंगे तो आप देखेंगे कि आप हमेशा कार्यमें व्यस्त होंगे और बुरे विचारों-रूपी मेहमानोंका स्वागत करनेके लिए आप कभी उपलब्ध ही नहीं होंगे। मैं आपको अपने अनुभवसे और अपने साथियोंके अनुभवसे बताता हूँ कि भारतके करोड़ों गरीब लोगोंके लिए अनवरत काम करनेका विचार मात्र मुझे और उन्हें सभी प्रकारके नुकसानसे बचाता है। चरखेका यही आध्यात्मिक रहस्य है, लेकिन यदि चरखा आपके मनको नहीं जमता तो मुझे उसकी परवाह नहीं है। मैं तो आपसे इतना ही कहता कि आप अपने तथा इन दरिद्र लोगोंके बीच एक जीवन्त सम्बन्ध स्थापित करें और आप फौरन देखेंगे कि आपने अपने चरित्रके निर्माणके लिए एक सुदृढ़ बुनियाद डाल दी है। मैंने आपसे जो कुछ कहा है, ईश्वर आपको उसे समझनेमें मदद करे और उसके अनुरूप कार्य करनेकी शक्ति दे।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १७-१०-१९२७

९१. बातचीत : दलितवर्गोंके शिष्टमण्डलोंके साथ

१५ अक्टूबर, १९२७

महात्माजीने दोनों शिष्टमण्डलोंसे[१] एक साथ ही भेंट करने पर जोर दिया ताकि चेरूमा और एजवाहा लोगोंको एक ही हॉलमें इकट्ठे बिठाया जाये ।

श्री पी० सी० गोपालनने, एजवाहोंको अग्रहारम्की गलियोंमें से गुजरनेकी इजाजत न होने के कारण जो तकलीफें होती हैं, उनका वर्णन किया।

महात्माजीने पूछा कि यह रोक क्या केवल धार्मिक उत्सवोंके दिनोंमें ही रहती है या सालके सभी दिन । श्री गोपालनने उत्तर दिया कि अग्रहारम्की सड़कोंपर यहbरोक सारे साल लागू रहती है।

महात्माजीके पूछनेपर श्री सी० शेषय्याने उन्हें बताया कि सामान्य स्कूलोंमें दलितवर्गीके प्रवेशकी बात आशा-मात्र है, जिसका अस्तित्व केवल कागजपर ही अंकित है ।

श्री राघव मेननने महात्माजीको सूचित किया कि बहुत-सी सामाजिक कुरीतियों के कारण, जिनको ऊँची जातिके लोगोंने एजवाहोंपर थोप रखा है, कुछेक एजवाहोंने

  1. १. सी० शेपथ्थाके नेतृत्व में दलितवर्गीका शिष्टमण्डल तथा टी० एम० चमियप्पन, सुकुमारन और पी० सी० गोपालनके नेतृत्व में एजवाहा लोगोंका शिष्टमण्डल | ३५-१०