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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हमें समझ लेना चाहिए कि धार्मिक और नैतिक शिक्षासे क्या अभिप्राय है। दूसरे शब्दों में कहें तो इसका हेतु चरित्र-निर्माणके सिवा कुछ नहीं है, और प्रत्येक लड़का और प्रत्येक लड़की सहज ही जानते हैं कि चरित्र किसे कहते हैं। ईश्वर है, यह बात आपको माता-पिता या किसी धार्मिक पुरुषसे जाननेकी जरूरत नहीं है। इस अपरिहार्य आस्थाके बिना मेरी रायमें चरित्रका निर्माण कर सकता असम्भव है। यह आस्था चरित्रका आधार है। इसलिए मैं लड़कों और लड़कियोंसे कहता हूँ : "ईश्वर- में आस्था और इस प्रकार स्वयं अपने आपमें आस्थाको कभी मत छोड़ो, और याद रखो कि यदि तुम अपने मनमें एक भी बुरे विचारको, एक भी पापपूर्ण विचारको जगह देते हो तो इसका मतलब है कि तुम वह विश्वास खो बैठे हो । " असत्य, असत्य, अनुदा- रता और हिंसाका उस विश्वाससे कतई कोई सम्बन्ध नहीं है। याद रखें कि इस संसारमें हमारा सबसे बड़ा शत्रु हम स्वयं हैं। 'भगवद्गीता' के लगभग प्रत्येक श्लोकमें यह बात कही गई है। यदि मुझे 'सरमन ऑन द माउंट' की शिक्षाका सार बताना हो तो मैं यही उत्तर पाता हूँ । 'कुरान' के अपने अध्ययनसे भी मैं इसी अनिवार्य निष्कर्षपर पहुँचा हूँ। हम अपने आपको जितनी हानि पहुँचा सकते हैं उतनी और कोई नहीं पहुँचा सकता। इसलिए यदि आप बहादुर लड़के और बहादुर लड़कियाँ हैं तो आप इन सभी बुरे विचारोंके विरुद्ध कृतसंकल्प होकर वीरतापूर्वक संघर्ष करेंगे। बिना बुरे विचारकी प्रेरणा हुए संसारमें कोई बुरा काम कभी नहीं हुआ है। इसलिए आपको अपने मनमें पैदा होनेवाले प्रत्येक विचारपर निगरानी रखनी है। कई छात्रोंनें, लड़के और लड़कियाँ, दोनोंने, मुझसे अकसर पूछा है या मुझे बताया है कि हालाँकि उनकी बुद्धि मेरी इन बातोंको, जो मैंने अभी आपके सामने कही हैं, समझती है, लेकिन वे व्यवहारमें अपने विचारोंपर नियन्त्रण रखना या उन्हें दिमागसे निकाल फेंकना असम्भव पाते हैं। इस प्रकार वे संघर्ष बन्द कर देते हैं और निराशाके शिकार हो जाते हैं। पूर्ण व्यक्तियों को छोड़कर कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके मनमें कभी-न-कभी बुरे विचार न आते हों। इसलिए ईश्वरसे अनवरत यह प्रार्थना करनेकी जरूरत है कि वह हमें पापसे बचाये । यह एक प्रक्रिया है, जिससे किसीको कोई नुकसान नहीं पहुँचता। दूसरी प्रक्रिया बुरे विचार आनेपर उनका वास्तवमें स्वागत करनेकी है। यह सबसे ज्यादा खतरनाक और नुकसानदेह प्रक्रिया है, और यही वह प्रक्रिया है, जिसके विरुद्ध अपनी पूरी ताकतसे लड़नेके लिए मैं आपको निमन्त्रित करता हूँ, और अगर आप सोचें कि मैं क्या कह रहा हूँ तो आप फौरन देखेंगे कि यह चीज करना सबसे ज्यादा आसान है। हम अपने मनमें किस प्रकारके मेहमानोंको आने दें या न आने दें, इसका चुनाव हममें से प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है। शत्रुके आक्रमणको हम रोक भले न सकें, लेकिन इस आक्रमणका प्रतिरोध करनेकी कोशिशमें मर जाना अच्छा है। मैं आपसे यह विचार अपने साथ ले जानेको कहता हूँ। फिर आप देखिए कि आप इस संघर्षमें दिनोंदिन सफल होते हैं या नहीं। और इसी सिलसिलेमें मैं एक और बात भी आपसे कहना चाहता हूँ, जो यह है ।

यदि हम अपने बारेमें न सोचकर उन लोगोंके बारेमें सोचेंगे जो हमारी तुलनामें कम भाग्यशाली हैं तो हम देखेंगे कि हमारे पास बुरे विचारोंको रखनेकी फुर्सत ही नहीं