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भाषण : एर्नाकुलम् में

आदमके समयसे ही होता आ रहा है, लेकिन मैंने एक भी ऐसी किताब नहीं पढ़ी है, जिसमें कहा गया हो कि चूंकि पाप हमें पीढ़ी-दर-पीढ़ीसे विरासतमें मिला है, अतः उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मुझे उसी रिपोर्टमें सार्वजनिक मार्गोंके उपयोगके बारेमें और भी छोटी-मोटी दिलचस्प बातें मिली हैं। मैंने उसमें देखा कि किला अवर्णोंके लिए खुला हुआ नहीं है, क्योंकि उसमें एक मन्दिर है, और मन्दिरोंके निकट स्थित स्कूल सभी वर्णोंके बच्चोंके लिए खुले नहीं हैं ।

आज ही तीसरे पहर मुझे दो एजवाहा मित्रोंसे मिलनेका सुख प्राप्त हुआ और मैंने उनके साथ इस प्रश्नपर लम्बी चर्चा की। इस प्रश्नके बारेमें उन्होंने जिस गहरी भावनाके साथ मुझसे बात की, उसे मैं समझ सकता था। उन्होंने जो तर्क दिये वे वैसे ही हैं जैसे तर्क ब्रिटिश भारतमें और दक्षिण आफ्रिकामें दिये जाते हैं । वर्तमान स्थितिके प्रति उनका मन एक सात्विक क्रोधसे भरा हुआ है। सवर्णोंका यह कर्तव्य है कि वे अस्पृश्योंको बुनियादी न्याय दिलानेके लिए राज्यपर दबाव डालें ।

इसके बाद महात्माजीने देवदासियोंकी प्रथाकी चर्चा करते हुए कहा कि यह प्रथा आपका यश नहीं बढ़ाती। मुझे नहीं पता कि इस घृणित प्रथा का भी कोई धार्मिक महत्व माना जाता है या नहीं।

एक आवाज : कोई देवदासी इस राज्यकी नहीं है। वे सब बाहरसे बुलाई गई हैं ।

महात्माजी : बाह्रसे मँगाई गई शराब भी निषिद्ध होती है । (हँसी)

महात्माजीने कहा कि सारे राज्यमें यदि एक भी देवदासी हो तो यह प्रत्येक युवकके लिए लज्जाकी बात है।

आगे बोलते हुए महात्माजीने शराबके व्यापारकी चर्चा की और कहा कि शराब आय का एक अनैतिक जरिया है। अगर आपमें सच्ची राष्ट्रीय या सामाजिक भावना हो तो यह आपका ही कसूर है कि आपके बीच एक भी शराब पीनेवाला व्यक्ति हो । शराबखोरी खत्म करनेके दो तरीके हैं: (१) राज्यमें पूर्ण नशाबन्दीके लिए अनवरत आन्दोलन चलाना और (२) जो लोग शराबकी लतके शिकार हो चुके हैं, उनके बीच सुधार आन्दोलन चलाना । केवल पूर्ण शराबबन्दी काफी नहीं है और न केवल सुधार आन्दोलन ही बिना पूर्ण शराबबन्दीके सफल होगा। इन दोनों आन्दोलनों- को साथ-साथ चलना चाहिए और राजस्वकी कोई हानि बड़ी नहीं मानी जानी चाहिए। जहाँतक राजस्वका सवाल है, इस राज्यमें जितनी जरूरत है, यदि उतनी खादी आप स्वयं तैयार कर सकें तो आप लोगोंकी कमाईमें चार गुना वृद्धि कर सकते हैं।

महात्माजीने अपने भाषणको समाप्त करते हुए उपस्थित लोगोंसे अपना सन्देश याद रखनेका अनुरोध किया और कहा कि मैं चाहता हूँ, आपमें से कुछ लोग खाबीके काममें, अथवा मेरे बताये कामोंमें से किसी एक काममें लग जायें, क्योंकि ये बहुत जरूरी हैं। उन्होंने उपस्थित लोगोंसे खाबी कोषके लिए अपनी सामर्थ्य-भर चन्दा