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८८. भाषण : एर्नाकुलम्में

१३ अक्टूबर, १९२७

मित्रो,

मैं आपको अभिनन्दनपत्र तथा थैलियोंके लिए धन्यवाद देता हूँ। आपको यह जानकारी दिलचस्प लगेगी कि ये थैलियाँ कैसी है; करीब ५०० रुपये छात्रोंसे मिले हैं और ४०० रुपयेसे कुछ अधिक जनताकी ओरसे। मैं आशा करता हूँ कि यहाँ एकत्र जनता इस अन्तरके अर्थको समझेगी और सभा छोड़ने से पहले इस कमीको पूरा कर देगी। मुझे आपको यह सूचित करते हुए भी खुशी है कि दरबारकी ओरसे मुझे ५०० रुपयेका एक चैक दीवान साहबसे प्राप्त हुआ है और ३०० रुपये मुझे महाराजाकी बेटी श्रीमती विलासिनीकी ओरसे, जो इस समय इंग्लैंडमें हैं, महारानीजीके जरिये प्राप्त हुए हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि महारानीकी बहन श्रीमती रत्नम् द्वारा काते गये काफी बारीक सूतका एक पार्सल भी प्राप्त हुआ है, जिसमें से कुछ सूत स्वयं महारानीजीने काता है । स्पष्टतः मैं एर्नाकुलम्में जो खादीके अनुकूल वाता- वरण देख रहा हूँ, उसका कारण यही है कि महाराजाके परिवारके लोग खादीको पसन्द करते हैं। और मुझे यह जानकर भी बड़ी प्रसन्नता हुई कि ईसाई, हिन्दू, यहूदी- हमारे बीच कुछ यहूदी मित्र भी हैं --यहाँतक कि कुछ मुसलमान भी खादीको पसन्द करते हैं। लेकिन साथ ही मुझे यह जानकर दुःख हुआ कि आजसे दो वर्ष पूर्व यहाँ खादीके प्रति जो उत्साह था, वह अब नहीं है। मेरी रायमें यह चीज गलत है। हमपर अकसर यह आरोप लगाया जाता है कि हम बहुत जल्दी उत्साहित हो उठते हैं और यह उत्साह एकाएक गायब भी हो जाता है। मैं चाहूँगा कि आप इस आरोपको झूठा प्रमाणित कर दें। और मेरी नम्र रायमें खादीका कार्य एक ऐसा कार्य है जिसमें सतत प्रयत्न और लगातार उत्साह बनाये रखना जरूरी है । है।

और यदि मैं आपको यह बात समझा सकूं कि भारतके ७,००,००० गाँवों में रहनेवाले करोड़ों भूखे प्राणियोंके लिए खादीका क्या महत्त्व है तो आप समझ सकेंगे कि यह उत्साह और प्रयत्न न केवल आवश्यक है, बल्कि अपरिहार्य है। यह तथ्य याद रखिए कि खादीका उद्देश्य शहरोंमें रहनेवालोंकी नहीं, बल्कि गाँवोंमें रहनेवाले करोड़ों भूखे लोगोंकी सेवा करना है।

गांधीजीने कहा कि मैं इसे एक शुभ लक्षण मानता हूँ कि हम उस स्थानपर एकत्र नहीं हुए हैं जो दक्षिण भारतका एक उत्तम बन्दरगाह बननेवाला है, बल्कि कालेजके मैदानमें एकत्र हुए हैं।

मैं इस चीजको भी इस बातका द्योतक मानना चाहूँगा कि इस शिक्षण संस्था में पढ़नेवाले लड़के और लड़कियाँ अपने क्षुधा-पीड़ित माई-बह्नोंकी उपेक्षा नहीं करेंगे ।