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८१. भाषण : क्विलनमें

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११ अक्टूबर, १९२७

जिस प्रकार संखियाकी एक बूंद मटका-भर दूधको विषाक्त कर देती है, उसी प्रकार अस्पृश्यता हिन्दू-धर्मको विषाक्त कर रही है। दूधके गुण और उपयोगको तथा संखियाके प्रभावको जानते हुए हम उस आदमीकी कार्रवाईसे अधीर हो उठेंगे जो दूधके मटकेके पास बैठे-बैठे उसमें से थोड़ा-थोड़ा करके संखियाको हटानेकी कोशिश कर रहा हो। हम तो सीधे उस मटकेको ही उठाकर फेंक देंगे। इसी प्रकार एक हिन्दूके नाते मुझे लगता है कि अस्पृश्यताका अभिशाप हिन्दू-धर्मको बिलकुल विषाक्त और अशुद्ध किये डाल रहा है। इसलिए मेरे खयालसे ऐसे मामलोंमें धीरज धरनेमें कोई बड़ाई नहीं है। बुराईके प्रति धैर्य दिखाना वास्तवमें बुराईके साथ और खुद अपने साथ खिलवाड़ करना है। इसलिए मुझे यह कहनेमें कोई झिझक नहीं होती कि त्रावणकोर राज्यको इस सुधारके मामलेमें आगे बढ़कर काम करना चाहिए और एक ही प्रहारमें इस बुराईको समाप्त कर देना चाहिए। लेकिन मैं जानता हूँ कि एक हिन्दू राज्यमें भी जबतक हिन्दू जनताका समर्थन और सक्रिय समर्थन प्राप्त न हो तबतक इस बुराईको दूर करना उसके लिए असम्भव है। इसलिए मेरी अपील मुख्यतः राज्यके प्रधानसे नहीं, बल्कि आप लोगोंसे ही होगी, अत: इस सभामें उपस्थित प्रत्येक हिन्दूसे मैं व्यक्तिगत तौरपर यह अपील करता हूँ। मैं और आप बहुत दिनोंसे तथा- कथित अस्पृश्यों और अनुपगम्योंके प्रति अपने कर्त्तव्यकी उपेक्षा करते आ रहे हैं और इस हदतक मैं और आप हिन्दूधर्मके सच्चे अनुयायी नहीं हैं। मैं आपसे बेहिचक कहता हूँ कि जो कोई अस्पृश्यताके पक्षमें आपके सामने कोई दलील देनेको आये, उसकी दलीलपर आप तनिक भी ध्यान दिये बिना उसे अस्वीकार कर दें। याद रखिए कि इस युगमें कोई भी व्यक्ति या पुरुषों तथा स्त्रियोंका कोई भी समुदाय जो-कुछ करता है वह ज्यादा दिनोंतक छिपा नहीं रहता, और जबतक हम अस्पृश्यता- को गलेसे लगाये हुए हैं तबतक रोज-रोज हमारी परीक्षा हो रही है और रोज ही हम उसमें अनुत्तीर्ण हो रहे हैं। आपको याद रखना चाहिए कि संसारके सभी महान धर्म अभी विकास और निर्माण के क्रममें हैं। इसलिए हमें शुतुरमुर्गकी तरह अपना मुँह छिपाकर अपने सर मंडराते हुए खतरेसे आँख नहीं चुरानी चाहिए । मुझे इसमें तनिक भी सन्देह नहीं कि आज जो उथल-पुथल मची हुई है उसमें या तो अस्पृश्यताको मिट जाना है या फिर हिन्दू-धर्मको। लेकिन, मैं जानता हूँ कि हिन्दू-धर्म

 
  1. १. "मैसेज टू त्रावणकोर" ( त्रावणकोरको सन्देश ) शीर्षकके अन्तर्गत प्रकाशित |