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भाषण: विरुधुनगरकी सार्वजनिक समामें

यह नाम मूलतः नगरपालिकाके कार्योंकी हँसी उड़ानेके लिए दिया गया था। यह वास्तवमें एक ऐसा नाम है जो नगरपालिकाके कर्मचारियोंपर सटीक बैठता है। गुजराती- में हम नगरपालिकाओंको जिस नामसे जानते हैं उसका यदि अंग्रेजीमें शब्दानुवाद करें तो वह होगा " कस्टोडियन्स ऑफ कंजर्वेन्सी "। मेरी रायमें सारी नगरपालिका- सेवाका आदि, मध्य और अन्त सब-कुछ उसके अधीन आनेवाले सभी लोगोंकी सफाईका संरक्षण-परिरक्षण करना ही है । और यदि मुझे एक निरंकुश राजाकी शक्ति प्राप्त होती और उस शक्तिका इस्तेमाल करनेकी कभी इच्छा होती तो मैं उस नगरपालिका- को तुरन्त भंग कर देता जिसे सफाईके मामलेमें परीक्षामें शत-प्रतिशत नम्बर नहीं मिलते। यदि आप अपने यहाँकी टट्टियाँ बिलकुल साफ रख सकते हों, यदि आप स्वास्थ्यप्रद और शुद्ध जल और शुद्ध-साफ खुली हवा सुलभ करानेकी व्यवस्था कर सकते हों, और बच्चोंके लिए शुद्ध दूधका इन्तजाम कर सकते हों तो समझिए कि आप अपने अधीन रहनेवाले लोगोंके स्वास्थ्यकी रक्षा करनेकी स्थितिमें हैं। मैं जानता हूँ कि प्राइमरी शिक्षाको प्रथम स्थान देना आजकल नगरपालिकाओंके लिए फैशनकी चीज बन गया है। मेरी रायमें यह घोड़ेके आगे गाड़ी रखनेके समान है। निःसन्देह अपने यहाँके बच्चोंको प्राथमिक शिक्षा देना नगरपालिकाओंका एक महत्त्वपूर्ण काम होना चाहिए। लेकिन मुझे रंचमात्र भी सन्देह नहीं है कि सफाईको उसके कार्यक्रममें अव्वल स्थान मिलना चाहिए। लैटिनमें एक बहुत ही सुन्दर कहावत है कि स्वस्थ शरीरमें ही स्वस्थ मस्तिष्कका निवास हो सकता है। मैं अस्वस्थ बच्चोंको स्वस्थ शिक्षा दे सकना एक असम्भव बात मानता हूँ। सच तो यह है कि सफाई रखना अपने आपमें स्त्री-पुरुष और बच्चोंके लिए एक प्रथम कोटिकी प्राथमिक शिक्षा है। मैंने नगर- पालिकाओंके सच्चे कार्यके बारेमें इतना कुछ इस आशामें कहा है कि आप लोग, जिनके यहाँ एक नई नगरपालिकाकी स्थापना हुई है, इस दिशामें अपना काम सन्तोष- जनक ढंगसे कर सकें। और मैं आपको निजी अनुभवके आधारपर यह आश्वासन देता हूँ कि सफाईके इन सब कार्योंमें पैसेकी जरूरत उतनी नहीं है जितनी कि सावधानी, मेहनत और ज्ञानकी है।

सफाईके प्रश्नसे बिलकुल जुड़ा हुआ प्रश्न रेलवे यात्रियोंकी शिकायतोंका है। कोई समय था जब रेलवे-यात्रियोंकी शिकायतोंको प्रकट करने और उन्हें दूर करवानेके मामलेमें मैंने लगभग विशेषज्ञता प्राप्त कर ली थी। और दुनियाके अनेक हिस्सोंमें यात्रा करनेके बाद और यह जाननेके बाद कि तीसरे दर्जेका सफर क्या होता है, और लगभग सभी रेलवे लाइनोंपर नियमित रूपसे तीसरे दर्जेमें ही सफर करनेवाले मुसाफिरकी हैसियतसे मुझे रेलवे यात्रियोंकी परिस्थितियोंका अध्ययन करनेका अन्यतम अवसर प्राप्त हुआ है। और यद्यपि तब मैं मानता था और आज भी मानता हूँ कि तीसरे दर्जेके यात्रियोंकी सुविधाओंके मामलेमें रेलवेके प्रबन्धक घोर स्वरूपसे दोषी हैं, लेकिन साथ ही मैं इस नतीजेपर भी आया - और इसपर मैं अब भी कायम हूँ- - कि उतनी ही महत्त्वपूर्ण चीजोंके लिए खुद रेलवेयात्री भी जिम्मेदार थे। मैं इस बातको अच्छी तरह जानता हूँ कि रेलवेको सबसे ज्यादा आमदनी तीसरे दर्जेके