पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 33.pdf/१२१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८३
पत्र: नानाभाई इ॰ मशरूवालाको

  आयेगी। मैं ६ तारीखको साबरमती पहुँचूँगा। उस दिन फाल्गुन सुदी ३ है। मेरी सलाह तो यह है कि हमें ज्योतिषके अनुसार शुभ दिन ढूँढनेकी झंझटमें नहीं पड़ना चाहिए। शुभ कार्यके लिए जल्दीसे-जल्दी जो दिन तय किया जाये वही अच्छेसे-अच्छा दिन होता है। लेकिन इस बारेमें मेरा कोई आग्रह नहीं है।

विवाह अकोलामें होना चाहिए, इस इच्छाके पीछे निहित भावनाको मैं समझ सकता हूँ। मेरा यात्रा सम्बन्धी सब कार्यक्रम तय हो चुका है। उसमें इतना ही फेरफार किया जा सकता है कि काठियावाड़ परिषद मुल्तवी हो गई है, इसलिए मुझे ४ तारीखसे लेकर ८ तारीखतक समय मिल सकता है। मैं ४ तारीखको बम्बई पहुँचूँगा। वहाँसे मणिलालको लेकर मैं सीधा अकोला आ सकता हूँ। इस तरह मैं वहाँ ६ तारीखको पहुँच जाऊँगा। आप उसी दिन विवाह कर दें। ७ तारीख सोमवार को मेरा मौनवार है; इसे वहाँ बिता कर मैं अहमदाबादके लिए रवाना हो जाऊँगा। मुझे अधिकसे-अधिक १० तारीखतक अहमदाबाद पहुँच ही जाना चाहिए। आपको कमसे-कम दिक्कतमें डालना चाहता हूँ। यदि आप ६ तारीखसे पहलेका कोई दिन चाहते हों तो ऐसा हो सकता है कि मैं उस दिन जहाँ होऊँ वहाँसे विवाह किया जाये। दूसरा रास्ता यह है कि आप मेरी अनुपस्थितिमें विवाह सम्पन्न करें। मेरी उपस्थिति तो आप सब चाहेंगे, बा चाहेगी, मणिलाल भी चाहेगा, यह मैं समझ सकता हूँ। लेकिन उसे मैं अनिवार्य नहीं मानता। यदि यह आपको स्वीकार हो तो ११ मार्चसे पहले आप जो दिन अनुकूल लगे उसे चुन लें।

मैं तो विवाहको हर हालतमें आवश्यक कार्य नहीं मानता। जब वह आवश्यक होता है तब उसका रूप धार्मिक कार्यका हो जाता है; धार्मिक कार्यमें बड़े-बूढ़े उपस्थित हों अथवा न हों। इसके सिवा, वह किसी भी समय किया जा सकता है। इसलिए मुझे उपस्थित होनेका कोई आग्रह नहीं है, विवाह जल्दी हो, यह आग्रह अवश्य है, क्योंकि मणिलालका नेटालका काम रुकता है, और उसे ज्यों ही सम्भव हो त्यों ही नेटालके लिए रवाना कर देना है।

इन सब बातोंपर विचार करके आपको जो दिन उचित लगे उसे आप निश्चित कर लें और हो सके तो मुझे तार कर दें।

मेरे दौरेकी तारीखें ये हैं:[१]

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ११२३) से।

सौजन्य: सुशीलाबहन गांधी

  1. यहाँ नहीं दी जा रही हैं। इनमें २५ वीं तारीख तकके मुकाम दिये थे। उनके लिए देखिए "पत्र:-मीराबहनको", १३-२-१९२७।