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७१. पत्र: सुशीलाबहन मशरूवालाको

रविवार [१३ फरवरी, १९२७][१]

चि॰ सुशीला,

मणिलालका तार आया है, उसे तुम्हें भेज रहा हूँ। मैंने उसे जो पत्र[२] लिखा था उसकी नकल रखवा ली थी। सो भी भेज रहा हूँ। इनसे तुम यह जान सकोगी कि मैं तुम दोनोंसे क्या आशा रखता हूँ। तुम भाग्यशाली हो या नहीं, यह तो भगवान जाने, लेकिन तुम्हें पाकर मणिलाल भाग्यशाली हुआ है—— ऐसा मैं मानता हूँ।

स्याहीसे पत्र लिखनेकी आदत डालना। समय मिले तो अपनी गुजराती जितनी बन सके, उतनी सुधारनेका प्रयत्न करना।

मुझे पत्र लिखना। मुझे तो मुक्त भावसे लिखा जा सकता है; इसका ध्यान रखना।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च:]

मेरी यात्राका कार्यक्रम नानाभाईके पास है।

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ११२२) से।

सौजन्य: सुशीलाबहन गांधी

७२. पत्र: नानाभाई इ॰ मशरूवालाको

[१३ फरवरी, १९२७][३]

भाईश्री ५ नानाभाई,[४]

आपका पत्र मुझे जलगाँवमें मिला। मणिलालका तार अमलनेरमें मिला। यह तार, मणिलालको लिखे मेरे पत्रकी नकल तथा चि॰ सुशीलाको लिखा पत्र[५] पढ़ जायें और चि॰ सुशीलाको दे दें।

अब चूँकि फिलहाल चि॰ शान्तिका ऑपरेशन जल्दी नहीं कराना है, इसलिए यदि विवाह जल्दी करें तो यह मुझे अनुकूल रहेगा और होलाष्टककी[६] बाधा भी नहीं

  1. पत्रके पाठके आधार पर।
  2. देखिए "पत्र: मणिलाल गांधीको", ८-२-१९२७।
  3. पत्रके पाठके आधारपर।
  4. सुशीलाबहन गांधीके पिता, मणीलाल गांधीके श्वसुर।
  5. देखिए पिछला शीर्षक।
  6. होलीके आठ दिन; ज्योतिषकी दृष्टिसे इन दिनोंमें विवाहका निषेध है।