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पत्र: पी॰ ए॰ वाडियाको

  मुझ जैसे विद्यार्थियोंके लिये बड़ा लाभदायक साबित होगा। जनसाधारणके मस्तिष्कको शिक्षित करनेके अवसर प्राप्त होते रहते हैं।

श्री शराफने हमारे बीच यह कैसी बिजली गिरा दी है? मैं कभी-कभी समाचार-पत्रोंपर नजर डालता हूँ। इसलिए जब कभी आपको थोड़ासा भी समय मिले, और मुझ जैसे व्यस्त आदमीके पास पहुँचानेकी कोई बात हो, तो कृपया संकोच मत कीजिएगा, क्योंकि यद्यपि मैं समाचारपत्रोंमें कुछ नहीं लिख रहा हूँ, मैं पूरी तरह खुले मनसे सब कुछ देख रहा हूँ। अंग्रेजी (एस॰ एन॰ ११७७७ ए) की फोटो-नकलसे।

७०. पत्र: पी॰ ए॰ वाडियाको

धूलिया
१३ फरवरी, १९२७

प्रिय मित्र,

मैं श्री मदानका पत्र और उसके जवाबमें अपने पत्रकी[१] एक प्रति आपको भेज रहा हूँ। इन दोनों पत्रोंका विषय स्पष्ट है। इसलिए मुझे सिवाय इसके और कुछ नहीं कहना है कि मैं इस बातपर पूरा विश्वास कर सकता हूँ कि आप इस चर्चाको ऊँचे और नैतिक स्तरपर लानेके लिये यथासम्भव सब कुछ करेंगे।

मैं इस मासके अन्त तकका अपने दौरेका कार्यक्रम आपको भेज रहा हूँ, ताकि यदि आपको कोई बात तुरन्त कहनी हो तो आप मेरे साथ सीधा सम्पर्क स्थापित कर सकें, और मेरे स्थायी पतेके कारण उसमें कोई बाधा न हो।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

सहपत्र-१+१


प्रो॰ पी॰ ए॰ वाडिया
मलाबार हिल


बम्बई

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ ११७७७) की फोटो-नकलसे।

  1. देखिए पिछला शीर्षक।
३३-६