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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

  नहीं की जा सकती? राणावावमें क्यों न की जाये? किन्तु जैसे चीजका मालिक ढक्कनसे ढकी अपनी चीजके बारेमें भी जानता है उसी तरह आपको मुझसे ज्यादा सूझ सकता है। यदि मैं यहाँ बैठे-बैठे कोई निर्णय दूँ तो उससे क्या होगा? आप जैसा उचित जान पड़े वैसा करना। देवचन्दभाई अप्रैल अथवा मईमें कोई तारीख निश्चित कराना चाहते हैं। यह नहीं हो सकता। इस समय स्थिति तो यह है कि जो तारीख रद हो गई, वह हमेशाके लिए रद हो गई।

अप्रैलसे जुलाईतक मेरे सब दिन भरे हुए हैं। अगस्तमें कुछ तारीखें खाली हैं। बादमें तो मैं दिसम्बरमें ही खाली होऊँगा। मैं आश्रममें मार्चके आरम्भमें तो रहूँगा ही। हम तभी मिलेंगे।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च:]

अब आप मुझे १४ तारीखतक बूलियाके पतेपर पत्र लिखें।

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ २८३१) से।

सौजन्य: शारदाबहन शाह

६५. पत्र: जानकीदेवी बजाजको

शनिवार [१२ फरवरी, १९२७][१]

चि॰ जानकीबहन,

तुमने ऑपरेशन बड़ी हिम्मतसे कराया, इससे मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। अगर तुम हिम्मत हार जातीं तो आश्चर्य होता। मैंने हमेशा तुममें हिम्मत ही देखी है। वह सदा कायम रहे। जल्दी अच्छी हो जाओ और फिर नियमोंका अच्छी तरह पालन करती रहो, जिससे बीमार ही न पड़ो। मुझे शरीर और मनसे मजबूत बहुत-सी बहनोंकी जरूरत है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी॰ एन॰ २८८७) की फोटो-नकलसे।

  1. जानकीदेवी बजाजका ऑपरेशन ११-२-१९२७ को हुआ था।