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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस पेचीदा समस्याके शान्ति और न्याययुक्त हलके लिए वे उपयुक्त वायुमण्डल तैयार कर रहे हैं।

सर मुहम्मद हबीबुल्लाके प्रतिनिधिमण्डलके कन्धेपर जवाबदारीका बहुत बड़ा बोझा है। उनके पक्षमें सारा लोकमत है। हम यथासम्भव अच्छेसे-अच्छे परिणामकी आशा करते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १८-११-१९२६

४९. नगरपालिकाओंके अन्तर्गत कताई

नगरपालिकाओं और स्थानीय बोर्डों तथा जिला बोर्डोंके अन्तर्गत चलाये जानेवाले स्कूलोंमें जो कताई की जाती है उसके सम्बन्धमें मुझे जानकारी संयोगसे ही मिल जाती है। यदि नगरपालिकाओं और स्थानीय तथा जिला बोर्डोंके अध्यक्ष और मन्त्री, जो ‘यंग इंडिया' देखा करते हैं, कृपा करके मुझे उन स्कूलोमें कताईके आरम्भकी और उसकी प्रगतिकी जानकारी भेजेंगे कि इन स्कूलोंमें कितना सूत काता जाता है और सूत कातनेवाले लड़के और लड़कियोंकी संख्या कितनी है तो इसके सही-सही आँकड़े दिये जा सकेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १८-११-१९२६

५०. शान्तिवादी हड़तालकी शर्ते

एक मित्रने मुझे ब्रिटेनके शान्तिवादियोंके मुखपत्र 'नो मोर वार' (और युद्ध नहीं) से एक उद्धरण भेजा है। मैं इस उद्धरणमें से श्री ए० फेनर ब्रॉकवेने शान्तिवादी हड़तालकी कसौटीके रूपमें जो शर्तें दी हैं उनको नीचे ले रहा हूँ:

१. जिन सामाजिक बुराइयोंकी लपेटमें आकर मनुष्योंके प्राण जाते हैं उनके विरोध में की गई हड़ताल शान्तिवादके उतनी ही अनुकूल हो सकती है, जितनी युद्धके विरुद्ध की गई हड़ताल। (आदमीको अधपेट रखनेवाली मजदूरीसे उतने ही मनुष्य मरते हैं, जितने तोपोंसे।)
२. यदि यह कहा जाये कि उन बुराइयोंका अन्त करनेके लिए 'वैधानिक' साधनोंका प्रयोग किया जा सकता है तो युद्धके सम्बन्धमें भी यही कहा जा सकता है। हमारा "वैधानिक" तन्त्र अपूर्ण है। दो वर्ष पूर्व मतदाताओंको न तो यह मालूम था कि मजदूरीकी दरें घटाई जायेंगी और न उन्हें इस बातका अनुमान था कि युद्ध छिड़ जायेगा।