चाहिए। किशोरलालका पत्र मिला है कि गिरधारी यहाँ कल पहुँचेगा। वह बिलकुल स्वस्थ हो गया है, ऐसा तो नहीं कहा जा सकता।
गुजराती प्रति (एस० एन० १९६४१) की फोटो-नकलसे।
७०.पत्र : मोतीबहन चोकसीको
आश्रम
साबरमती
शनिवार, ज्येष्ठ वदी १, १९८२, २६ जून, १९२६
बहुत दिनोंके बाद और याद दिलानेपर तुम्हारा पत्र आया तो सही। तुम्हारा यह आलस्य कभी दूर भी होगा या नहीं? आनन्दीको बुखार आ गया था; वह अब टूट गया है। इस बीच वेलाबहनको भी बुखार आ गया था। वह आज ठीक हैं। राधा और कुसुम अभी बिस्तरमें पड़ी हैं।
तुम्हारा पढ़नेका नियम चलता है अथवा आलस्यके कारण अब वह भी छोड़ दिया है? और क्या कातनेके बारेमें भी पूछ सकता हूँ?
बापूके आशीर्वाद
गुजराती पत्र (एस० एन० १२१३३) की फोटो-नकलसे।
७१. पत्र : गोकलदास हीरजी ठक्करको
आश्रम
२६ जून, १९२६
आपका पत्र मिला। मेरे पास लिखने के लिए चरखा और ऐसे ही अन्य विषयों के अलावा कोई दूसरी बात नहीं है। आपका अखबार मैंने बिलकुल नहीं देखा। अपरिचित अखबारके लिए लेख लिखना मुझे अच्छा भी नहीं लगता; इसलिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ।
मोहनदास गांधी
मन्त्री, 'सेवक-मण्डल'
सेवक-मण्डल कार्यालय
गुजराती पत्र (एस० एन० १९९२१) की माइक्रोफिल्मसे।