गई होगी। क्या यह आनन्दका विषय नहीं है कि तुम्हारे ऐसे भी मित्र हैं जो तुमसे सदा गम्भीर बातें ही नहीं करते?
मैं अपने फिनलैंड न जानेपर बहुत खुश हूँ। मुझे अपने इस फैसलेपर मित्रोंकी ओरसे बधाईके कई पत्र मिले हैं। मेरे इन मित्रोंमें एक पंजाबी ईसाई भी हैं जो स्वयं यहाँ आये थे और हेलसिंगफोर्सको रवाना होनेसे पहले एक रात यहाँ ठहरे थे। वे वहाँ प्रतिनिधिके रूपमें गये हैं।
दक्षिण आफ्रिकाकी घटनाओंको देखकर अधिक आशा नहीं होती कि गोलमेज परिषदके कार्यका परिणाम सन्तोषप्रद निकलेगा।[१]
यह पत्र अगर तुमको कोटगढ़में मिल जाये तो स्टोक्स और उनकी पत्नी और ग्रेगको[२] मेरा स्नेह कहना।
तुम्हारा,
द्वारा श्री एस० ई० स्टोक्स
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६४०) की फोटो-नकलसे।
६६. पत्र : लक्ष्मीदास आसरको
साबरमती
तुम्हारा पत्र मिला। आनन्दीके बारेमें तुम्हें लिख ही चुका हूँ। डॉ० कानूगाको बुलाया था। वे कुनैन देना चाहते थे। उन्होंने दवा स्वयं भेजनेकी बात भी कही थी; लेकिन चूंकि अब ये बहुत बेचैन रहती हैं इसलिए मैंने डॉ० कानूगोसे ही दवा मँगानेका आग्रह नहीं रखा। छगनलाल एक बार उनके यहाँ गया था; लेकिन वे मिले नहीं, इसलिए अब उसे कुनैन यहींसे नियमपूर्वक दी जा रही है। अब बुखार तो उतर गया है। कुनैन अभी चालू रहेगी। स्नान करनेके बारेमें तुमने ठीक ही लिखा है। मैं उससे इस बारेमें भी सावधानी बरतनेके लिए कहूँगा। यहाँ अभी बारिशकी एक बूंद भी नहीं पड़ी है। वर्षा न होनेसे चिन्ता हो रही है।