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६४. पत्र : विलियम पैटनको

आश्रम
साबरमती
२४ जून, १९२६

प्रिय मित्र,

आपके पत्रके लिए धन्यवाद। मैंने कहा तो था कि अगर कोई बाधा न आई तो मैं हेलसिंगफोर्स आऊँगा; पर आखिर बाधा आ ही गई। यदि मैं फिनलैंड आता तो इंग्लैंड भी अवश्य आता। मुझे आपके निमन्त्रणसे पहले भी अनेक कृपालु मित्रोंके निमन्त्रण मिल चुके थे।

यह जानकर प्रसन्नता हुई कि नये वाइसराय वही करना चाहते हैं जो उचित हो और वे सच्चे विश्वाससे प्रेरित हैं।

हाँ, एन्ड्रयूजने दक्षिण आफ्रिकामें सचमुच बहुत अच्छे ढंगसे काम किया। यदि वे उद्योग न करते तो परिषद ही न हो सकती।

आपको और आपकी पत्नीको मेरा सादर अभिवादन।

हृदयसे आपका,

रेवरेंड विलियम पैंटन, एम० ए०

१, वॉर्ली रोड

साउथ एल्बान्स (इंग्लैंड)

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०७७५) की फोटो-नकलसे।

६५. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

आश्रम
साबरमती
२४ जून, १९२६

प्रिय चार्ली,

शिमलासे तुम्हारा एक पत्र मिला था। उसके बाद कोई पत्र नहीं मिला। मैंने इसका अर्थ यही लगाया है कि स्टोक्सके साथ तुम्हारी खूब छन रही है। आशा है उस यात्रासे तुम्हें विश्राम और शान्ति मिली होगी।

शंकरलालने मुझे बताया है कि तुम इस बातसे बहुत दुःखी हो कि मैंने तुम्हारे ईसाईयतके प्रति पक्षपातको लेकर तुम्हें खरी-खोटी सुनाई हैं। परन्तु मुझे आशा है कि अब तुम वह दुःख भूल गये होगे और वह घटना तुम्हारे लिये सुखद बन