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अखिल भारतीय चरखा संघके सदस्योंके लिए

प्रति सद्भावपर निर्भर नहीं रखा जा सकता। यह ऐसा विषय है जिसपर विज्ञान और अर्थशास्त्रकी युक्तियों द्वारा भी विचार किया जा सकता है।

मैं जानता हूँ कि हम लोगोंके बीच इस प्रकारकी अन्धभक्ति बहुत है और आशा करता हूँ कि राष्ट्रीय पाठशालाओंके शिक्षक मेरी इस चेतावनीपर ध्यान रखेंगे और अपने विद्यार्थियोंको— अपने कामको बिना परखे केवल किसी ऐसे मनुष्यके कहने के कारण ही, जिसे लोग बड़ा समझते हों— आलस्यवश करनेसे बचाने का प्रयत्न करेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २४-६-१९२६

६०. अखिल भारतीय चरखा संघके सदस्योंके लिए

खादी भण्डार, प्रिंसेस स्ट्रीट, बम्बई और अखिल भारतीय चरखा संघ खादी भण्डार १४, दादी सेठ, अग्यारी लेन, कालबादेवी रोड, बम्बईके व्यवस्थापकोंने मुझे सूचित किया है कि अखिल भारतीय चरखा संघके सदस्य अपनी सदस्यता का प्रमाण-पत्र भेजकर इन भण्डारोंके सदस्य बिना कोई चन्दा दिये ही बन सकते हैं और उन्हीं रियायतोंका लाभ उठा सकते हैं जो चन्दा देनेवाले सदस्योंको दी जाती हैं। सदस्यों को मिलनेवाले सारे गश्तीपत्र और खरीदपर छूट भी इन रियायतोंमें शामिल है। उन्होंने यह भी घोषित किया है कि जुलाईके महीनेमें दोनों भण्डारोंमें घटी हुई दरोंपर माल बेचा जायेगा। सभी चीजोंपर ६¼ प्रतिशतकी आम छूट होगी किन्तु कुछ चीजोंपर २५ प्रतिशत और कुछपर ५० प्रतिशत तक छूट दी जायेगी। घटी हुई दरोंका लाभ अगले महीनेके अन्ततक उठाया जा सकेगा।

इस प्रकार की योजनाएँ और बिक्री खादी प्रचारका एक तरीका है। सब खादीप्रेमी इन्हें प्रोत्साहन दें और इनसे लाभ उठायें।[१]

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २४-६-१९२६
  1. १. यह अनुच्छेद नवजोवन, २७-६-१९२६ से लिया गया है।