अब तो सभी बरसातकी राह देख रहे हैं।
बापूके आशीर्वाद
सेवाश्रम
गुजराती पत्र (एस० एन० १२१२९) की फोटो-नकलसे।
५३. पत्र: जगजीवनको
आश्रम
साबरमती
ज्येष्ठ सुदी १३, १९८२, २३ जून, १९२६
तुम्हारा पत्र मिला। तुम जिस स्कूलमें हो उसे एकदम छोड़ना ठीक न होगा। इसके अतिरिक्त तुम्हारा प्रवन्ध कहीं और करने से पहले मुझे अमृतलाल सेठसे अवश्य पूछना चाहिए। मेरी सलाह तो यही है कि जो भी कठिनाइयाँ हैं, उनको बता दो और जहाँ हो वहीं बने रहो।
रानपुर
गुजराती प्रति (एस० एन० १९६३३) की माइक्रोफिल्मसे।
५४. पत्र : शम्भूशंकरको
आश्रम
साबरमती
ज्येष्ठ सुदी १३, १९८२, २३ जून, १९२६
आपका पत्र मिला। वेतनके बारेमें आपका निश्चय मुझे स्वीकार और पसन्द है। जुलाई मासतक तो आपको ५० रुपये मिलेंगे; इसलिए परिवर्तन अगस्तकी पहली तारीखसे होगा। भाई जगजीवनदासका पत्र अभी मुझे नहीं मिला। आपके हस्ताक्षरोंके लिए भेजे गये इकरारनामेकी प्रतिलिपि आपने मुझे नहीं भेजी है; लेकिन जो-कुछ लिखा है उससे मुझे लगता है कि यदि आप इकरारमें बँधना चाहें तो
- ↑ १. गारियाधार, सौराष्ट्रके एक खादी कार्यकर्ता।