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पत्र : पेरीन कैप्टेनको

है, थोड़े ही दिनोंमें संशोधित और दोषरहित संस्करण प्रकाशित हो जायेगा। तब वे चाहे जितनी प्रतियाँ मँगा सकती हैं।

यदि आपका काम वहाँसे हटनेकी इजाजत नहीं देता, तो आपका न आना मुझे नहीं अखरेगा। आपके व्यक्तिगत खर्चके बारेमें मैं आपसे कुछ नहीं कहूँगा। जब तक आप दोनोंका तन और मन बिलकुल ठीक रहे, मैं हर प्रकारसे सन्तुष्ट हूँ।

आपका,

श्री सतीशचन्द्र दासगुप्त

खादी प्रतिष्ठान
१७०, बहूबाजार स्ट्रीट

कलकत्ता

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६३०) की फोटो-नकलसे।

४१. पत्र : पेरीन कैप्टेनको

आश्रम
साबरमती
२२ जून, १९२६

क्या तुम्हें कुमारी हॉसडिंगकी याद है। भूल तो नहीं गईं? वे आगामी शुक्रवारको तुमसे मिलेंगी। पिछले सप्ताह मैंने उनके पत्रकी आशा की थी। परन्तु तब नहीं मिला। अब उनके पत्र आ रहे हैं। जैसा कि उन्होंने लिखा है 'रेंजमॅक' नामक जहाजसे उनके आने की सम्भावना है। अगर अबतक पहुँच गई हों तो मुझे तार द्वारा सूचित करना, ताकि मैं उन्हें लेनेके लिए किसीको अहमदाबाद स्टेशनपर भेज सकूं।

श्रीमती पैरीन कैप्टेन[१]

इस्लाम क्लब बिल्डिग्ज़
चौपाटी

बम्बई

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६३१) की माइक्रोफिल्मसे।

तुम्हारा,

  1. १. दादाभाई नौरोजोकी पौत्री।