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१७. पत्र: परशुराम मेहरोत्राको

साबरमती आश्रम
१८ जून, १९२६

चि० परशुराम,

अब मैं जानना च्हाता हुं तुमारा आना कब हो सकता? आखरकी तारीखका मुझको तार दे देना। हिंदी नवजीवनके लीए में तुमारा उपयोग करना च्हाता हुं और कार्य शीघ्रतासे ही होना चाहीए।

बापू के आशीर्वाद

मूल पत्र (जी० एन० ६१००) की नकलसे।

१८. पत्र : किशनसिंह चावड़ाको

आश्रम
साबरमती
ज्येष्ठ सुदी ८, १९८२ [१८ जून,१९२६ ]

भाईश्री ५ किशनसिंह,[१]

आपने मुझे पत्र लिखा, यह अच्छा किया। पत्र डायरीमें ही रह गया था। आपके जानेके बाद ही में अन्य कार्योंमें फँस गया। मुझे उनसे फुर्सत नहीं मिली तथा पत्रकी याद भी नहीं आई। इसके लिए मुझे क्षमा करें। मैं इसके साथ कुछ[२] लिखकर भेज रहा हूँ।

गुजराती प्रति (एस० एन० १९४००) की माइक्रोफिल्मसे।

 
  1. १. गुजराती लेखक और समाज सेवक।
  2. २. उपलब्ध नहीं है।
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