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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सदस्य बने रहना चाहें तो उसे पूरा भेज दें। जो अगले साल भी सदस्य बने रहना चाहते हैं, उन्हें भी अपना नियत अंश जल्दी भेजना चाहिए। सूत अच्छा बटदार, एक-सा और पानीसे छींटा हुआ हो; इसपर जोर देनेकी जरूरत नहीं। सूत जाँचनेवालोंने सूतको जाँचनेमें नरमी बरती है; लेकिन हमेशा तो नरमी नहीं बरती जा सकती। यह तो कातनेवालोंके लिए और राष्ट्रके लिए भी अहितकर होगा। इसलिए जैसे एक खराब सिक्का या कोई भी खराब सामान लौटा दिया जाता है, उसी तरह यदि खराब सूत आगेसे अस्वीकार कर दिया जाये तो सूत कातनेवालोंको आश्चर्य न करना चाहिए। सदस्योंको याद रखना चाहिए कि अ॰ भा॰ चरखा संघके पाँच वर्षका होनेपर उसके संविधानमें हो रहे संशोधनसे मिलनेवाले विशेषाधिकारको प्राप्त करने के लिये उन्हें यह दिखाना होगा कि वे पाँच वर्षतक अ॰ भा॰ चरखा संघके लगातार सदस्य रहे हैं।

स्कूलोंमें तकली

बाबू प्रफुल्लचन्द्र सेनने दुआडण्डू राष्ट्रीय विद्यालय (बंगाल) की एक मासकी तकली-कताईके परिणामकी सही और विस्तृत रिपोर्ट अखिल भारतीय चरखा संघको भेजी है। स्कूलको उन्होंने हाल ही में अपने हाथमें लिया है। हर कातनेवालेका नाम, उसने कितनी देरमें, कितना गज सूत काता तथा किस रफ्तारसे काता यह सब उन्होंने अपनी भेजी हुई तालिकामें दिया है। अगस्त में २६ लड़कोंने १४३६८ गज सूत काता। इसका वजन ५६ तोला है और सूतके अंक ६ से ३० तक हैं। करीब ५० प्रतिशत सूत तानेके लिए ठीक है। सबसे अधिक रफ्तार औसतन ९० गज प्रति घंटा रही। महीने में सूत कातनेमें जिस लड़केने सबसे अधिक समयतक काता उसने १८ घंटे सूत काता। सबसे अधिक मात्रा १६२१ गज थी। केवल ४ लड़कोंने १००० गज या उससे अधिक काता। इस प्रकार उन्होंने एक मासमें चरखा संघकी बाल शाखाके सदस्य बननेकी योग्यता प्राप्त कर ली है; लेकिन खद्दर पहनना सदस्य बननेकी अनिवार्य शर्त है। यदि अध्यापक और छात्र इसी तरह कातते रहे तो कोई कारण नहीं कि प्रत्येक छात्र वर्षके अन्ततक अपने वस्त्रोंके लिए पर्याप्त सूत न कात सके। मैं विश्वास करता हूँ कि यदि लड़कोंको अभीतक अपनी रुई आप घुनना और उससे पूनियाँ बनाना न आता हो तो उन्हें कुछ समयमें वैसा करना सिखा दिया जायेगा।

प्रफुल्ल बाबूने तालिकाके साथ निम्नलिखित दिलचस्प पत्र भी भेजा है।[१]

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ३०-९-१९२६
 
  1. यहाँ नहीं दिया गया है। इसमें बताया गया था कि लड़के खराब चरखोंको छोड़कर जब तकलियोंपर सूत कातने लगे तो उसका क्या परिणाम हुआ। बच्चोंने इस परिवर्तनको खुशोसे स्वीकार किया था।