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टिप्पणियाँ

कि ब्राह्मण-शासित इस राज्यमें, जिसे प्रबुद्ध कहलानेका गौरव प्राप्त है, गुड़ तैयार करनेके लिए ताड़का रस निकालनेवालोंको सुविधाएँ नहीं दी जातीं, बल्कि उनपर क्लेशकर नियम लागू किये जाते हैं।

शिक्षाकी धुरी

ऐसे समय जब कि शिक्षामें चरित्रनिर्माणकी अपेक्षा साहित्यिक ज्ञानपर अधिक जोर दिया जाता है प्राध्यापक जैक्सके 'सन्डे स्कूल क्रॉनिकल' में प्रकाशित लेखसे उद्धृत निम्नलिखित उद्धरण पढ़ना उपयोगी होगा।[१]

सुदूर तूतीकोरनमें

श्री के॰ नल्ल शिवं पिल्ले लिखते हैं:[२]

यदि स्वदेश बाल्यम् संघम्के सदस्य अपने कर्त्तव्यका पालन न करें तो मेरी चाहे कितनी भी सद्भावना हो व्यर्थ ही होगी। पत्रमें भाषाकी भूलें देखकर हैरानी होती है। एक छोटी-सी संस्थाका विवरण देनेमें भी 'लगभग' शब्दके प्रयोगकी क्या आवश्यकता है? 'ज्यादातर छात्र कातते हैं' यह कहनेकी अपेक्षा उनकी ठीक संख्या दी जा सकती थी और यह बताया जा सकता था कि उनमें से प्रत्येक छात्र प्रतिदिन कितना समय कातनेमें देता है, कितना कातता है और उसका अंक क्या आता है। 'लगभग २० चरखे' क्यों लिखे हैं, उनकी ठीक संख्या क्यों नहीं लिखी? 'कुछ पैसा लेकर कातते हैं', यह 'कुछ' क्यों? कितने कातते हैं, यह क्यों नहीं लिखा? उनकी मजदूरी क्यों नहीं बताई? क्या ये कातनेवाले जरूरतमन्द लोग हैं? 'लगभग ६० तौलियों' का क्या अर्थ है? ६० तो मोटी संख्या ही है। जो संस्था कामकाजी है उसे कामकी निश्चित सूचना देनी चाहिए और जो लोग खादीका काम करना अर्थात् सबसे गरीब और जरूरतमन्द लोगोंकी सेवा करना चाहते हैं उन्हें कामकाजी ढंग ही अपनाना चाहिए। २० या १३ सदस्योंकी ही संस्था एक अच्छी और भाग्यशाली संस्था होगी। यदि उसके ये २० या १३ सभीके सभी सदस्य ईमानदारी और मेहनतसे काम करें तो वह बड़े पैमानेपर खादीके प्रचारका अच्छा केन्द्र बन सकता है। खादीका काम यदा-कदा जोरसे करना निरर्थक है। यदि भावनाप्रधान लोग कुछ दिन तेजीसे डटकर काम करें और फिर एकदम बैठ जायें, तो यह काम नहीं चल सकता। इस राष्ट्रीय आन्दोलनमें संकल्प और चारित्र्यकी दृढ़ता सफलताके लिए अत्यावश्यक है।

अ॰ भा॰ चरखा संघ

इस मासके अन्तमें अ॰ भा॰ चरखा संघको काम करते हुए एक वर्ष पूरा हो जायेगा। जो अपना पिछले वर्षका सूतका चन्दा अभीतक पूरा-पूरा न भेज पाये हों, वे

  1. उद्धरण यहाँ नहीं दिया गया है। इसमें कहा गया था कि विज्ञानने उन्नति तो की है, किन्तु उसका सदुपयोग कैसे किया जाये, यह समस्या हल नहीं की जा सकी है। अब शिक्षा और धर्म सम्बन्धी प्रवृतियोंका प्रयत्न अपने लक्ष्यपर, दायित्वपर पहुँचनेकी दिशामें किया जाना चाहिए।
  2. यहाँ नहीं दिया गया है। इसमें तूतीकोरनके स्वदेश बाल्यम् संघम्के कार्यका विवरण दिया गया था।