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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रिंसेस स्ट्रीटके खादी भण्डारमें देखो, शायद मिल जाये; यों किसी भी मसहरीसे काम चल जायेगा।

हृदयसे तुम्हारा,

कुमारी रोहिणी पूवैया


द्वारा श्रीमती एस॰ एन॰ हाजी
मेरीन लाइंस स्टेशनके सामने
क्वीन्स रोड


बम्बई

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९७०७) की माइक्रोफिल्मसे।

४९३. टिप्पणियाँ

ताड़का रस निकालनेवालोंका संघ

एक पत्र-लेखकने कोचीनमें ताड़का रस निकालनेवालोंके संघकी स्थापनाके बारेमें निम्न रिपोर्ट भेजी है।[१]

त्रावणकोर और कोचीनमें ताड़ वृक्ष बहुत हैं। इन राज्योंमें ताड़का रस निकालनेका उद्योग बहुत बड़ा है। किन्तु यहाँ ताड़का रस स्वास्थ्यदायक उद्देश्यसे नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और नैतिकताका नाश करनेके लिए निकाला जाता है; इसका दुरुपयोग खमीर उठाकर नशीली ताड़ी बनाकर बेचनेके लिए किया जाता है। इससे यूरोप तथा दक्षिण आफ्रिकामें अंगूरके बागोंके दुरुपयोगकी याद आ जाती है। सन्तरोंके सिवा और कोई ऐसा फल नहीं है जो स्वास्थ्यवर्धक गुणोंमें अंगूरोंसे तुलना कर सके। जो व्यक्ति ताजे अंगूर तथा थोड़ी-सी बिना चुपड़ी रोटी खाकर रहता हो वह कभी बीमार नहीं होता। किन्तु अंगूरोंकी फसलका उपयोग एक ऐसे मादक द्रव्यके बनाने में किया जाता है जिससे प्रतिवर्ष इतने लोग मरते हैं जितने गोली और बारूदसे भी नहीं मरते; फिर भी वर्तमानमें लाभकी कोई आशा न रखकर तथा अपने उद्देश्यकी सचाईपर विश्वास रखकर फलाहारी लोग जो कोशिश कर रहे हैं वैसी ही कोशिश ताड़का रस निकालनेवालोंका संघ भी कर सकता है; बशर्ते कि वह निराशाओंसे निरुत्साहित न होकर काममें लगा रहे। ताड़ीका गुड़ बनाना एक बहुत ही अच्छा विचार है। यदि यह उद्देश्य सफल हो जाये तो ताड़ोंके इस प्रदेशमें नशाबन्दी रूढ़ हो जानेपर ताड़रस निकालनेवालोंको काम देनेकी समस्या अपने आप हल हो जायेगी। यह देखकर अत्यन्त दुःख होता है।

  1. यहाँ नहीं दी गई है। कुन्नांकुलम् में सभा बुलाकर यह संघ बनाया गया था। इसके सदस्य वे हो लोग हो सकते थे जो गुड़ बनानेके लिए ताड़का रस निकलते थे। १०२ लोगोंने शपथ ली कि वे ताड़ी बनानेके लिए ताड़का रस नहीं निकालेंगे। संघका उद्देश्य कोचीनमें जो लोग इस धन्धेमें लगे हैं, उनका नैतिक और सामाजिक सुधार करना था।