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४८५. तार: राघवदासको

साबरमती
[२४ सितम्बर, १९२६ या उसके पश्चात्][१]

मैंने किसी चुनावके लिए कोई मंजूरी नहीं दी और न ही मुझे इसका अधिकार है।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ ११३३०) की फोटो-नकलसे।

४८६. पत्र: मोतीबहन चोकसीको

आश्रम
शनिवार, भाद्रपद बदी ४, [२५ सितम्बर, १९२६][२]

चि॰ मोती,

मुझे तुम्हारी लिखी साढ़े पाँच पंक्तियाँ मिलीं। उनमें भी टेढ़ापन है। यदि उन्हें सीधी करें और फिर लिखें तो वे पाँच हो जायें। और उन पंक्तियोंमें जो अक्षर लिखे हैं वे तो मानो पंचमेल हैं; कोई बड़ा तो कोई छोटा, कोई पतला तो कोई मोटा। फिर भी कैसा भी सही, वह पत्र तो है ही। इसलिए इतना अनुग्रह तो है ही। खूनकी जाँच करनेके बाद डाक्टरने क्या मत व्यक्त किया सो मुझे लिखना। तुमने पढ़ना फिर शुरू कर दिया, यह ठीक किया। प्रत्येक कार्यके लिए समय निर्धारित कर लेना चाहिए और उसका पालन दृढ़तासे करना चाहिए; इससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरहका स्वास्थ्य सुधरता है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ १२१३५) की फोटो-नकलसे।

 
  1. यह तार २४ सितम्बर, १९२६ को मिले राघवदासके तारके उत्तरमें दिया गया था। तारमें कहा गया था: गोरखपुरकी जनता जानना चाहती है कि क्या रघुपतिसहायके भाषणके अनुसार आपने चुनाव कार्य के लिए २५,००० रुपयेकी मंजूरी दी है।
  2. डाककी मुहरसे।