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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

काम क्यों न कराया जाये? प्रत्येक कार्यकर्त्ता एक अखबारसे अधिक उपयोगी है। बेशुमार अखबारोंसे वातावरणमें जो उलझाव पैदा हो गया है, आप अपना अखबार निकालकर उसमें वृद्धि ही करेंगे। लेकिन यदि मैं आपको अखबार निकालने से रोक नहीं सकता तो कमसे-कम मुझे अपने मनकी करने दीजिए। इधर कुछ दिनोंमें में अखबारोंमें लिखना अस्वीकृत करता रहा हूँ। लेकिन उसका मुख्य कारण तो मेरे स्वास्थ्यका ठीक न होना है। मेरे पास जरूरतसे ज्यादा काम है। अगर मुझसे बन सके तो मैं कुछ दिनोंके लिए 'यंग इंडिया' व 'नवजीवन' के लिए भी लिखना बन्द कर दूँ। परन्तु वह तो मैं सोच भी नहीं सकता। लेकिन मैं तुम्हें कोई गौण कारण बताकर नहीं टालना चाहता—यहाँ तो मुख्य कारण ही मुख्य है।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९७०५) की फोटो-नकलसे।

४६७. पत्र: मुन्नालाल जी॰ शाहको[१]

साबरमती
भाद्रपद सुदी १५ [२१ सितम्बर, १९२६][२]

भाईश्री ५ मुन्नालाल,

आपका पत्र मिला। नवजीवन प्रकाशन मंदिरसे प्रकाशित पुस्तकोंकी सूची प्रायः 'नवजीवन' में प्रकाशित की जाती है। वेदोंमें गोहत्याका विधान है, मैं ऐसा न तो कहता हूँ और न ऐसा जानता हूँ। आश्रममें वेदमन्त्रोंका पाठ नित्य किया जाता है। मेरे बारेमें जो कुछ कहा जाता है, उस सबपर विश्वास कर लेनेकी जरूरत नहीं है। जहाँ शंका हो वहाँ पत्र लिखकर मुझसे समाधान करा सकते हैं।

मोहनदास गांधी

श्रीयुत मोतीलाल नत्थूशाह


राजपाड़ा, गोटी मुहल्ला


बुरहानपुर,

गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६९८९) की फोटो-नकलसे ।

सौजन्य: मुन्नालाल जी॰ शाह

 
  1. ऐसा लगता है कि यह मोतीलाल नत्थूशाहकी मार्फत भेजा गया था।
  2. ढाककी मुहरसे।