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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी बतायें कि ये आसन बिना किसी व्यक्तिको प्रत्यक्ष सहायताके किये जा सकते हैं या नहीं।

हृदयसे आपका,

स्वामी कुवलयानन्द

कैवल्य धाम
कुंजवन
डा० लोनावाला

[बम्बई]

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९७००) की फोटो-नकलसे।

४५७. पत्र: एस० नारायण अय्यरको

आश्रम
साबरमती
१८ सितम्बर, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। आपके मित्रके लिए मैं केवल यही सुझाव दे सकता हूँ कि वे उत्तेजनासे बचें। वे चौबीसों घंटे खुली हवामें रहें। उन्हें चाहिए कि वे निरन्तर अपने तन और मनको पवित्र कार्य और पवित्र विचारमें लगाये रखें। उन्हें ऐसा हलका व्यायाम करना चाहिए जो अनावश्यक रूपसे थकानेवाला न हो। वे दालें न लें, चावल भी कभी-कभार ही खायें, मिर्च-मसालोंसे परहेज करें और रोज खाली पेट ठण्डे पानीमें कटि-स्नान करें। उन्हें निरन्तर भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि उनका हृदय शुद्ध रहे। उन्हें जल्दी सोना व जल्दी उठना चाहिए।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एस० नारायण अय्यर

२/१५, नमशिवाय मुडली स्ट्रीट

ट्रिप्लीकेन, मद्रास

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९७०२) की फोटो-नकलसे।