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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

स्वास्थ्यके सामान्य नियमोंका पालन करते हुए उसे ठीक रखें। कृपया मुझे वहाँ होनेवाली घटनाओंकी सूचना देते रहिएगा।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

पण्डित गोपबन्धु दास

बर्मन डाक बंगला

कटक

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० १०९९७) की फोटो-नकलसे।  

४५४. पत्र : प्यारेलालको

आश्रम
साबरमती
१८ सितम्बर, १९२६

प्रिय प्यारेलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। सर हेनरी लॉरेन्स द्वारा उठाये गये प्रश्नों के उत्तरमें तुमने जो टिप्पणियाँ मुझे भेजी हैं, मैं उन्हें अवश्य पढ़ जाऊँगा।

तुमने सिटी मैजिस्ट्रेटसे अपनी मुठभेड़का जो विवरण मुझे दिया है, वह विचित्र है; उसे पढ़कर बड़ा संताप हुआ। एक ही व्यक्तिमें व्याप्त अहंकार, अज्ञान और लालफीताशाहीका यह बड़ा अच्छा उदाहरण है।

मैं चाहता हूँ कि मथुरादास अब रसोइयेके बिना ही अपना काम चलाये। बाईकी पाठशालाका तुम्हारा वर्णन मेरे लिए आश्चर्यजनक नहीं है। गरीबोंके प्रति उत्कट सहानुभूतिके बिना चरखा चलानेकी आवश्यकता अनुभव करना असम्भव है।

मैं आज रातको एक दिनके लिए बम्बई जा रहा हूँ। सोमवारकी सुबह लौटूंगा। वहाँ मुझे दक्षिण आफ्रिकी शिष्टमण्डलके सिलसिलेमें जाना है। केवल महादेव ही मेरे साथ जा रहा है। अपने नये निवासमें पहुँच जानेपर उसका पूरा विवरण लिख भेजना।

तुम्हारा,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६९९) की फोटो-नकलसे।