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४४५. पत्र : शौकत अलीको

आश्रम
साबरमती
१६ सितम्बर, १९२६

प्यारे बड़े भाई,

आपका पत्र मिला। मुझे खुशी है कि अपीलके विषयमें दिया गया मेरा उत्तर आपको पसन्द आया। आप चाहें तो १७ तारीखको खुशीसे रवाना हो जायें, लेकिन जिस दिन आप पहुँचेंगे उसी दिन मुझे बम्बईके लिए चल देना होगा। मुझे दक्षिण आफ्रिकी शिष्टमण्डलके सिलसिलेमें वहाँ जाना पड़ेगा। मैं उसी रात बम्बईसे चल दूंगा और ट्रेनमें ही मौन रखूंगा। आपके यहाँ आनेपर आपके लिए दही, चोकरकी रोटी और हरी सब्जियोंका ठीक प्रबन्ध रहेगा। मैं चाहता हूँ, आप अगले सप्ताह आयें । लेकिन यदि आप अपने कार्यक्रमके अनुसार ही आ रहे हों तो कृपया अनसूयाबहनको तार दे दीजिए; वे मुझे सूचित कर देंगी। खास तरहकी रोटी तो आपके आ जानेके बाद ही तैयार की जायेगी। इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा, क्योंकि मैं सामान सब तैयार रखूंगा।

हृदयसे आपका,

मौलाना शौकत अली
बम्बई

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६९३) की फोटो-नकलसे।