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खादी कर्मचारी मण्डलके सम्बन्धमें

यानी कोई आठ महीने रहना होगा। वहाँके खादी डिपोके प्रधानका सन्तोषजनक प्रमाणपत्र मिल जानेपर, अगर शिक्षाकालके भीतर ही उसका चरित्र व स्वास्थ्य न बिगड़ा तो वह खादी कर्मचारी मण्डलमें भरती कर लिया जायेगा।

इस प्रकार भरती किया गया कोई भी व्यक्ति, संघ द्वारा जिस किसी केन्द्रमें भेजा जाये, वहाँ जाकर काम करेगा।

उनका माहवारी वेतन होगा··· रु०। चरखा संघ द्वारा खादी कर्मचारी मण्डलकी स्थापनाके बादसे यह मण्डल उनके वेतनमें समय-समयपर जो बढ़ती करना चाहेगा, कर सकेगा।

मण्डलमें जानेके इच्छुक हरएक प्रार्थीको, भरती होते समय मण्डलके बनाये हुए शर्तनामेपर हस्ताक्षर करने होंगे।

विविध

जो लोग मण्डलमें भरती होना नहीं चाहते वे भी शिक्षण विभागमें भरती किये जा सकेंगे। किन्तु मण्डलके उम्मीदवारोंको ही हमेशा तरजीह दी जायेगी।

तीन महीनेका एक अल्पक्रम भी होगा। यह उन लोगोंके लिए होगा जो केवल सूत कातना और उससे सम्बन्धित काम अर्थात् कपास ओटना, रुई धुनना और पूनियाँ बनाना सीखना चाहेंगे।

हरएक उम्मीदवारको, जिसे तालीमके लिए भरती करनेका निश्चय कर लिया गया है, अपने घरकी वापसीका किराया और ३ रु० जमा करना होगा। अगर वह किसी भी कारणसे हटा दिया गया तो उस समय उसकी वापसीके खर्चके लिए इसी रकमका उपयोग किया जायेगा।

वजीफा

शिक्षण विभागके व्यवस्थापकको जो पूरा सन्तोष दे सकेंगे कि वे अपने खाने-पीनेका खर्च नहीं बरदाश्त कर सकते उन उम्मीदवारोंको रहनेका स्थान और भोजन-खर्चके लिए १२ रु० वजीफा दिया जायेगा। उम्मीदवारोंके लिए जहाँ-कहीं स्वयं शिक्षण विभाग ही भोजनालय चला पायेगा वहाँ उम्मीदवारोंको कोई भी वजीफा नहीं मिलेगा।

विशेष अधिकार

समय-समयपर इस संविधानमें परिवर्तन और सुधार करने, उपनियम बनाने, सेवाकी शर्तें निश्चित करने, अनुशासनके नियम बनाने और संविधानमें ही जिन बातों-का खुलासा नहीं हो पाया है, उन सबका फैसला करनेका विशेष अधिकार चरखा संघने अपने हाथ में रखा है। जो पहलेसे ही चरखा संघकी सेवामें हैं, उन व्यक्तियोंके अधिकारोंमें इस योजनासे कोई फर्क न पड़ेगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १६-९-१९२६
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