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४२१. पत्र : शौकत अलीको

आश्रम
साबरमती
१० सितम्बर, १९२६

प्यारे बड़े भाई,

आपका पत्र मिला। हेजाजकी समस्याके विभिन्न पहलुओं और उसकी पेचीदगियों पर न तो मैंने नजर रखी है और न मैं उनको समझ ही पाया हूँ। परन्तु चूंकि मेरा अकीदा है कि ईश्वरसे खौफ खानेवालोंको मुसीबतके बाद खुशी हासिल होती है, मैंने मान लिया है कि अन्तमें नतीजा अच्छा ही होगा।

खद्दर आन्दोलनकी ओरसे आपने जो अपील तैयार की है, उसके विषयमें आपका कथन मैंने देख लिया है। लेकिन जबतक आप अपना वादा पूरा न करेंगे, मुझे सन्तोष होनेवाला नहीं है।

जब आप यहाँ आनेको हों तब मुझे काफी पहलेसे ही इत्तिला भेजनेकी मेहरबानी करें, ताकि मैं दरवेशके लिए दही वगैरा जरूरी चीजें तैयार रख सकूँ।

हृदयसे आपका,

मौलाना शौकत अली

केन्द्रीय खिलाफत समिति

बम्बई

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६८७) की फोटो-नकलसे।

४२२. पत्र: वी० एन० आप्टेको

आश्रम
साबरमती
१० सितम्बर, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला, धन्यवाद। आपके सुझाव मैंने समझ लिये हैं। आँकड़ों सहित विवरण प्रकाशित करनेका उद्देश्य इतना ही है कि खादीका जो कार्य हो रहा है उसके बारेमें लोगोंको मोटा-मोटा ज्ञान हो जाये । आपने जो जानकारी देनेकी बात सुझाई है उसमें से कुछ तो वास्तवमें अनुपलब्ध है। उदाहरणार्थ, एक घंटेमें पेशेवर कतैये कितना सूत कात लेते हैं, इसकी बात तो जाने दीजिए, यह भी पूरी तरह मालूम करना कठिन है कि १ घंटेमें धुनिये कितनी रुई धुन सकते हैं। हमारे पास जो बहियाँ