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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रसन्नताकी बात तो है ही। आपके विषयमें भी ऐसा है। मैं यही चाहता हूँ कि इस प्रयत्नमें आपको सफलता मिले। और अपने काममें आपने जो नाम कमाया है उसके अनुरूप सफलता मिले। यदि मेरा किसी अवसरपर बम्बई आना हुआ तो आप मिलनेकी कृपा अवश्य कीजिएगा।

श्रीमती भीखाईजी पालमकोट

६१, खम्बाला हिल
मलाबार हिल

बम्बई– ६

गुजराती प्रति (एस० एन० १२२७६) की फोटो-नकलसे।

४१६. पत्र: जी० एन० कानिटकरको

आश्रम
साबरमती
१० सितम्बर, १९२६

प्रिय कानिटकर,

आपका पत्र और रजिस्टर्ड पार्सल मिला। आयन्दा पार्सलोंकी रजिस्ट्री न कराया कीजिए। मैंने ऐसी व्यवस्था की है कि पत्रिकाएँ यहाँ पहुँचते ही मुझे दे दी जायें। हमें चाहिए कि यदि हम एक घेला भी बचा सकें तो बचायें।

आपने विज्ञापनोंके बारेमें जो लिखा है उसका में ध्यान रखूंगा। आपने जो कुछ किया है बहुत सन्तोषजनक है।

आप मुझसे ब्राह्मण-अब्राह्मण प्रश्नके सम्बन्धमें इस समय कुछ भी लिखनेको न कहें। फिलहाल उस सम्बन्धमें खामोश रहूँ तो कोई हर्ज होनेवाला नहीं है।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्री जी० एन० कानिटकर

३४१, सदाशिव पेठ

पूना सिटी
अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ९५९) से।
सौजन्य : जी० एन० कानिटकर