पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/४२५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

४०४. अनीतिकी राहपर

मेरे पास अंग्रेजी तथा देशी भाषाओंमें इस आशयके अनेक पत्र आये हैं कि मैं 'अनीतिकी राहपर' शीर्षक लेखमालाको हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी— तीनों भाषाओंमें पुस्तकाकार प्रकाशित करूँ। मुझे मालूम है कि १०-१२ चिट्ठियाँ तो सिर्फ उन्हीं पत्र-लेखकोंकी माँग जाहिर कर सकती हैं। सम्भव है वास्तवमें समस्त समाजको पुस्तककी जरूरत न हो । यह समय नई पुस्तकें प्रकाशित करनेके लिए उपयुक्त नहीं है। लेकिन एक मित्रने इसका उपाय सुझाया है और सारे नुकसानकी भरपाई करनेकी हामी भरी है। इसलिए, जो सज्जन इन पुस्तिकाओंकी छपाई इत्यादिके लिए कुछ देनेकी अपनी बातपर अभीतक कायम हों तो वे कृपा करके अपना-अपना चन्दा भेज दें। यदि प्रतियाँ चाहनेवाले अपने नाम पहले ही से 'यंग इंडिया' के कार्यालयको सूचित कर देंगे तो प्रबन्धकको यह निश्चित करने में आसानी हो जायेगी कि पुस्तककी कितनी प्रतियाँ छपाना उचित होगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९-९-१९२६

४०५. टिप्पणियाँ

आगामी कांग्रेस सभापति

श्रीयुत श्रीनिवास आयंगारको आगामी कांग्रेस अधिवेशनका सभापति चुननेकी बात पहलेसे ही पक्की थी। कांग्रेस कमेटियाँ एक कट्टर स्वराज्यवादीको ही चुननेके लिए बाध्य थीं। श्रीनिवास आयंगार एक लड़ाकू वीर होनेके साथ ही साथ आदर्श- वादी भी हैं। उनमें सब्र नहीं है और उनका बेसब्री भरा जोश उन्हें प्रायः इतने गहरे पानीमें ले जाता है, जहाँ मामूली आदमीकी गति नहीं। वे किसी भी काममें बिना अधिक सोच-विचार किये ही कूद पड़ते हैं। अभूतपूर्व कठिनाईके अवसरपर ऐसे उत्तरदायित्वपूर्ण पदपर उनका चुनाव हुआ है। लेकिन श्री आयंगारको अपने में तथा अपने सदुद्देश्यमें विश्वास है। यह बात सर्वविदित है कि ईश्वर आत्मविश्वासीकी ही सहायता करता है। हम आशा करें कि वह श्री आयंगारकी भी सहायता करेगा। श्री आयंगारको कांग्रेसजनोंके अधिकसे-अधिक सहयोगकी जरूरत पड़ेगी। हमने निष्क्रिय भक्ति दिखाना तो सीख लिया है, लेकिन अब समय आ पहुँचा है, जब हमें सक्रिय भक्ति दिखाना भी सीखना होगा। अगर कांग्रेसजन अपनी नीति और अपने प्रस्तावोंको, जिन्हें स्वीकृत किये जानेमें उनका योग रहता है, कार्यरूप देंगे तो श्री आयंगारका काम कठिन होते हुए भी आसान बन जायेगा। जिस संस्थाको उन्नति करनी है