पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/४२२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३८६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पूरी हो जाती है तो इसीसे पिता, माता, भाई-बंधु, बहन तथा अन्य प्रियजनोंसे उसको मिलन हो जाता है।

पी० ठाकोरदास सुखड़िया

किनारी बाजार

सूरत

गुजराती प्रति (एस० एन० १२२७३) की फोटो-नकलसे।

४०१. पत्र: प्यारेलाल नैयरको

आश्रम
साबरमती
बुधवार, भाद्रपद सुदी १ [८ सितम्बर, १९२६][१]

चि० प्यारेलाल,

तुम्हारा लम्बा पत्र मिला। तुम्हारा धर्मसंकट मैं समझता हूँ। पर कहीं अतिशयताका समावेश न होने पाये इसका ध्यान रखनेकी मेरी सतत इच्छा रही है। कई बार अतिशय संकोच करना भी अविनयकी निशानी बन जाता है। अब तुम एक रीति विशेषको अपनाये हुए हो तो उसमें कोई तबदीली करनेकी आवश्यकता नहीं देखता। ऐसा करनेसे मथुरादासको[२] कुछ ठेस पहुँच सकती है। इसलिए अभी जैसा चल रहा है वैसे ही चलने दो। जब तुम्हारे पास पैसा समाप्त हो जाये तब मुझे लिखना। खादी तो मिल गई होगी? अबतक पिछला लेख तैयार कर लिया होगा। अपने स्वास्थ्यको सुधारना। मुझे पत्र लिखते रहना।

प्यारेलालजी

होमी विला

पंचगनी

गुजराती प्रति (एस० एन० १२२७४) की फोटो-नकलसे।

  1. प्यारेलाल नैयर १९२६ में पंचगनीमें थे।
  2. मथुरादास त्रिकमजी, जिनके साथ प्यारेलाल नैयर, पंचगनीमें रहते थे।