पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/४२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

८. पत्र : पीपुल' के सह-सम्पादकको

आश्रम
साबरमती
१६ जून, १९२६

प्रिय मित्र,

आप जानना चाहते हैं कि मैं कभी 'पीपुल' पढ़ता हूँ या नहीं। मेरी इच्छा तो यही है कि मैं कह सकूँ कि पढ़ता हूँ। परन्तु हकीकत यह है कि मैं शायद ही कभी कोई साप्ताहिक पत्र देख पाता हूँ। मैं एक-दो दैनिक तो सरसरी नजरसे जरूर देख लेता हूँ, परन्तु अन्य समाचारपत्रों अथवा मासिक पत्रोंमें क्या छपा है यह जानने के लिए मुझे अपने सहायक पर ही अवलम्बित रहना पड़ता है। आप इसकी वर्षगाँठपर बवाईके दो शब्द भी चाहते हैं, मैं सहर्ष कामना करता हूँ कि ईश्वर लालाजीकी[१] इस सन्तानको दीर्घायु बनाये।

हृदयसे आपका,

सह सम्पादक

'पीपुल'
१२, कोर्ट रोड

लाहौर

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६२१) की माइक्रोफिल्मसे।

९. पत्र : मुहम्मद हासम चमनको

आश्रम
१६ जून, १९२६

भाईश्री ५ मुहम्मद हासम चमन,

जिसे अहिंसाकी पूरी समझ हो जाती है, जिसके हृदयमें आत्मिक ज्ञान उत्पन्न हो जाता है, जो करुणासे आप्लावित हो उठता है वह अवश्य ही खाना-पीना छोड़ रामनामका जप करता हुआ इस शरीरको त्याग सकता है। आपने गोचर भूमिके लिए पाँच खेत देकर सचमुच बहुत अच्छा काम किया है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० १९९१६) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. १. लाला लाजपतराय।