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३९४. पत्र : नानाभाई भट्टको

आश्रम
साबरमती
मंगलवार, श्रावण अमावस्या, ७ सितम्बर, १९२६

भाईश्री ५ नानाभाई,

इस पत्र के साथ पूँजाभाईके पत्रकी नकल भेज रहा हूँ। 'भगवती सूत्र' सम्बन्धी व्यवस्था पुरातत्त्व मन्दिरको सौंप दी है। क्या वह व्यवस्था हमें स्वीकार न कर लेनी चाहिए? इस विषयमें कुछ-न-कुछ करने की आवश्यकता तो होगी ही। जो उचित हो सो करें।

श्री नानाभाई भट्ट

दक्षिणामूर्ति

भावनगर

गुजराती प्रति (एस० एन० १२२७१) की फोटो-नकलसे।

३९५. सन्देश : भवानीदयालको

मंगलवार [७ सितम्बर, १९२६से पूर्व][१]

प्रवासी भवनका हेतु प्रवासीओंके लीये पुस्तकालय खोलनेका है। मेरी उमीद है कि प्रवासीयोंके अनुकूल पुस्तकें रखी जायगी। आजकल लोग पुस्तकालयमें हर किसमकी अच्छी बूरी पुस्तकें रख लेते हैं। मैं आशा करता हुं [ कि ] इस पुस्तकालयमें बुरे पुस्तक नहि रखे जायंगे।

मोहनदास गांधी

मूल (सी० डबल्यू० ८६५४) से।
सौजन्य : विष्णुदयाल
  1. इस सन्देशके उत्तरमें भवानीदयालने ९ सितम्बर, १९२६ को पत्र लिखा था।