३८९. पत्र : राजेन्द्रप्रसादको
आश्रम
साबरमती
मंगलवार, श्रावण अमावस्या, ७ सितम्बर, १९२६
इसके साथ जो पत्र रखता हूं मैं आज ही पढ़ सका हूं। विद्यार्थीको भी मैंने लिखा है आपसे मिलें।
कांग्रेस ऑफिस,
मूल पत्र (एस० एन० १२२७२) की फोटो-नकलसे।
३९०. पत्र : लालजी नारणजीको
साबरमती
श्रावण बदी अमावस्या, १९८२ [७ सितम्बर, १९२६]
आपका पत्र मिला। यदि मेरे वहाँ आनेसे किसी लाभकी सम्भावना हो तो मैं आपका निमन्त्रण स्वीकार करनेमें तनिक भी आनाकानी न करूँ। क्योंकि मैं मानता हूँ कि दक्षिण आफ्रिकी शिष्टमण्डलका[२] आना एक असाधारण बात है और बम्बई आनेसे मेरी प्रतिज्ञा भंग नहीं होगी। पर आपके आयोजनमें भाग लेनेकी योग्यता मुझमें है या नहीं, इस विषयमें मुझे सन्देह है। आनेवाले सज्जन चतुर और बहुत स्वतन्त्र प्रकृतिके लोग हैं। स्वागत-समारोहके[३] समय दक्षिण अफ्रीकाके प्रश्नपर गम्भीर चर्चा नहीं की जा सकती। उनपर स्वागतका जाहिर असर भले ही पड़ सकता है परन्तु मुझे लगता है कि इस विचारसे मेरा वहाँ आना कुछ भी लाभदायक नहीं हो सकता। यह सम्भव हो सकता कि इन लोगोंके दिलोंमें मुझसे मिलनेकी इच्छा हो। ऐसी बात है या नहीं, इसका पता जरूर लगा लूंगा। उनके नेतासे[४]
- ↑ भारतीय व्यापार वाणिज्य संघ, बम्बईके तत्कालीन अध्यक्ष।
- ↑ दक्षिण आफ्रिकी संघ सरकारका ८ सदस्योंवाला संसदीय शिष्टमण्डल भारत सरकारके निमन्त्रण-पर १८ सितम्बर, १९२६ को भारत आषा और १३ अक्तूबर, १९२६ को दक्षिण आफ्रिका लौट गया।
- ↑ १९ सितम्बर, १९२६ को बम्बईके बीकानेर हाऊसमें आयोजित।
- ↑ एफ० डब्ब्यू० बेयर्स जो उस समय खान-उद्योग मन्त्री थे।