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पत्र: एस० ई० स्टोक्सको

लौटा देनेका पक्का वादा करे। इस कारण में उलझनमें पड़ गया हूँ, क्योंकि इसका अर्थ यह होता है कि संघ द्वारा ऐसी जमानतोंकी व्यवस्था की जानी चाहिए जो जरूरत पड़नेपर वसूल की जा सकें और साथ ही जो पर्याप्त भी हों । इसलिए मेरा विचार तो यह हो रहा है कि श्री बिड़लाने जो मंजूरी शर्तके साथ दी है उसका लाभ न उठाया जाये । यदि सालके अन्तमें कर्ज चुकाने के लिए बैंकसे ही रुपया लेना पड़े, तो क्या एक वर्षकी अवधिके लिए जमानतदार ढूँढ़ते फिरना जबकि वही काम सालके अन्तमें भी करना पड़ेगा— ठीक होगा? आखिर एक सालमें आप केवल १,८०० रुपयोंकी ही बचत कर पायेंगे। इसलिए मेरी सलाह यही है कि इस कर्जके लिए चिन्ता न की जाये और आप बैंकसे रुपया लेनेके सम्बन्धमें जो ठीक समझें, करें। परन्तु यदि आप श्री बिड़लाके रुपयोंका ही उपयोग करने का आग्रह करें, तो कृपया मुझे सूचित कीजिए कि किन-किन लोगोंकी जमानत होगी और उन जमानतदारोंकी हैसियत क्या है?

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२३५) की माइक्रोफिल्मसे।

३६९. पत्र: एस० ई० स्टोक्सको

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। कुमारी हॉसडिंगको अपने यहाँ रखनेमें आपकी दिक्कत में ठीक-ठीक समझता हूँ। अब वह मसूरी चली गई है और वहाँ देवदासके साथ कुछ दिन रहेंगी।

आश्रम
साबरमती
१ सितम्बर, १९२६

निस्सन्देह आपके साथ रहनेकी मेरी उत्कट इच्छा है, फिर वह कुछ दिनोंके लिए ही क्यों न हो। वह अवसर कब आयेगा सो मैं नहीं जानता। पहाड़ी लोगोंके बीच आप जो प्रयोग कर रहे हैं, उसे मैं बड़ी दिलचस्पीके साथ देख रहा हूँ आप सबको प्यार।

हृदयसे आपका,

श्री एस० ई० स्टोक्स

कोटगढ़

शिमला हिल्स

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६७९) की फोटो-नकलसे।