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३. पत्र : मूलचन्द उत्तमभाई पारेखको

आश्रम
साबरमती
मंगलवार,१५ जून, १९२६

भाईश्री ५ मूलचन्द,

आपका पत्र मिला। मैंने आपके मसविदेमें छोटा-सा सुधार किया है। यदि कभी आश्रम बन्द हो जाये तो भवनका क्या होगा, यह बात मसविदेसे स्पष्ट नहीं होती। तब क्या जमीनके साथ भवन भी दरबारका ही हो जायेगा? यदि कोई ऐसा ख्याल हो तो उसे दूर किया जाना चाहिए। उस हालत में भवनकी कीमत पंचों द्वारा तय की जानी चाहिए और उसका आधा हमें वापस दिया जाना चाहिए। न्यासियोंके नाम ठीक हैं। आपका भेजा हुआ मसविदा वापस कर रहा हूँ। गुजराती प्रति (एस० एन० १२१८९) की माइक्रोफिल्मसे।


४. तार : डा० सुन्दरी मोहन दासको[१]

[ १६ जून, १९२६ या उससे पूर्व ]

समारोहकी पूर्ण सफलता चाहता हूँ।

गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
फॉरवर्ड, १६-७-१९२६
  1. १. यह तार चित्तरंजन दासको प्रथम बरसीके अवसर पर--जिसे "चित्तरंजन अस्पताल दिवस" के रूपमें मनाया जा रहा था- भेजा गया था।