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'नवजीवन'-प्रेमियोंको

कुछ नहीं लिखा गया है। मैं जो बात पहले कई बार कह चुका हूँ, उसे ही फिर कहना होगा। पाठशालाओंके लिए केवल तकली ही एक वस्तु है और इसका प्रवेश तभी होना चाहिए जब शिक्षकोंने धुनना और कातना सीख लिया हो। पाठशालाओं में कताईके कामको तबतक कभी सफलता नहीं मिल सकती जबतक शिक्षक इसका राष्ट्रीय महत्त्व न समझ लें, उसमें उन्हें आनन्द न मिल पाये और अपने उत्साहसे वे उसे विद्यार्थियोंके लिए भी रुचिकर न बना दें।

बिहारकी खादी प्रदर्शनियाँ

बिहारमें खादी प्रदर्शनियोंके क्षेत्रमें लगातार उन्नति हो रही है और उनकी ओर अधिकाधिक लोगोंका ध्यान आकृष्ट होता जा रहा है। जुलाई महीनेके आरम्भमें बेतियामें एक प्रदर्शनी हुई। इसका उद्घाटन रियासतके मैनेजर श्री प्रायरने किया था। सहायक मैनेजर श्री वाइल्ड और एस० डी० ओ० भी उस समय उपस्थित थे। श्री प्रायरकी समझमें 'किसी अंग्रेजने खादीको कभी हकीर चीज नहीं समझा, परन्तु उन्होंने कहा 'इसे घरेलू धन्धेके तौरपर चलाया जाना चाहिए।' कुल बिक्री १३०४ रुपये १२ आने ३ पाईकी हुई। दूसरी प्रदर्शनी मोतीहारीमें हुई। इसका उद्घाटन पादरी जे० जेड० हॉज साहबने किया था। खादीके समर्थनके उन्होंने तीन कारण दिये (१) इससे घरेलू व्यवसायोंमें सहायता पहुँचती है, (२) खद्दरमें भावना और प्रेमको स्थान है, और (३) खद्दरसे गरीबोंको अन्न मिलता है। मोतीहारीमें खादीकी बिक्री ११६२ रुपये ८ आने ९ पाईकी हुई। तीसरी प्रदर्शनी दरभंगाके लेहेरियासरायमें हुई। यहाँपर उद्घाटन बाबू राजेन्द्रप्रसादने किया । यहाँ बिक्री १४४५ रुपये १५ आने ६ पाईतक पहुँची। इस महीनेमें चौथी और अन्तिम प्रदर्शनी देवघर (वैद्यनाथ-धाम) में हुई। सेठ जमनालाल बजाजने इसका उद्घाटन किया। यहाँ १३५९ रुपये ३ आने ६ पाईकी बिक्री हुई।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १९-८-१९२६

३३९. 'नवजीवन'-प्रेमियोंको

'हिन्दी नवजीवन' आज छठे वर्षमें प्रवेश करता है। मित्रोंके प्रेमके कारण यह पत्र नुकसान होते हुए भी निकलता रहा है। जमनालालजीने जो-कुछ लिखा है मैंने पढ़ लिया है। यदि 'हिन्दी नवजीवन' से किसीको सहायता मिलती है तो उसका प्रकाशन होते रहना आवश्यक है; परन्तु उसी प्रकार उसका स्वाश्रयी होना भी आवश्यक है। 'नवजीवन' प्रेमियोंसे मेरी प्रार्थना है कि वे ऐसी चेष्टा करें जिससे 'नवजीवन' को मित्रोंकी सहायतापर निर्भर न रहना पड़े।

'हिन्दी नवजीवन' में भाषाकी त्रुटियाँ होती थीं। मानता हूँ अब वे दूर हो गई हैं। उत्तर भारतके हिन्दी प्रेमी सज्जन 'नवजीवन' के लिए अनुवाद करते हैं ।