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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

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हृदयसे आपका,

श्री अनन्त मेहता

ब्रिटिश भारतीय संघ
१०, ग्रोसवर्नर गार्डन्स

लन्दन, द० प०

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०७९९) की फोटो-नकलसे।

३२४. पत्र: जनकधारी प्रसादको

आश्रम
साबरमती
१३ अगस्त, १९२६

प्रिय जनकधारी बाबू,

आपका पत्र मिल गया। डा० बेसेंट द्वारा निरूपित मतके[१] सिलसिलेमें मैंने थोड़ा विचार कर लिया है। उसके सम्बन्धमें मेरे मनमें कोई उत्साह पैदा नहीं हुआ। प्रत्येक मनुष्यको अपनी मुक्तिके लिए स्वयं ही प्रयत्न करना पड़ता है। मैंने पबनामें उन सज्जनसे[२] सम्पर्क स्थापित किया था। उन्होंने मेरे मनपर कोई खास छाप नहीं डाली और जहाँतक मुझे मालूम है उन्होंने देशबन्धुका देहावसान होनेके बाद उनको दिये गये अपने वचनका पालन भी नहीं किया है।

आप वहाँ[३] एक ही परिवारके सदस्योंकी भाँति रहते हैं। ऐसी स्थितिमें मुसलमान अध्यापकको हिन्दू अध्यापकोंसे अलग मानना और उससे अलग बैठकर भोजन करनेके लिए कहना सम्भव नहीं है।

आशा है आपका स्वास्थ्य बहुत अच्छा होगा।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत जनकधारी प्रसाद

गांधी विद्यालय

डा० हाजीपुर, जिला मुजफ्फरपुर

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२२३) की फोटो-नकलसे।

  1. जनकधारी प्रसादने पहली अगस्तके अपने पत्र में अन्य बातोंके साथ-साथ ईसा मसीहके अवतारके सम्बन्ध में डा० एनी बेसेंटके एक वक्तव्यका उल्लेख किया था और गांधीजीसे अनुरोध किया था कि वे उसके सम्बन्ध में अध्ययन करके अपने निजी विचार व्यक्त करें। (एस० एन० ११२१५ )।
  2. चित्तरंजन दासने गांधीजीसे पवनाके एक गुरूकी बात की थी।
  3. हाजीपुर विद्यालय के विभिन्न जातियोंके अध्यापकोंकी ओर संकेत है।