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पत्र : आ० टे० गिडवानीको

लिए भेजा था कि कितने विद्यार्थी रियायती कीमत देकर 'बाइबिल' खरीदने के लिए तैयार हैं। मुझे ४० विद्यार्थियोंकी अर्जियाँ मिली हैं। यदि आप मुझे यह बताने की कृपा करें कि विद्यार्थियोंको इन प्रतियोंको देनेमें कितना खर्च बैठेगा, तो मैं आपको बता दूंगा कि वे इस कीमतपर 'बाइबिल' लेंगे या नहीं। मेरे खयालसे तो ज्यादा अच्छा यही रहेगा कि विद्यार्थी सम्पूर्ण 'बाइबिल' लें, 'नया करार 'भर नहीं। मैं समझता हूँ कि आपके संग्रहमें सम्पूर्ण 'बाइबिल' का एक सस्ता संस्करण है। जाहिर है कि वे उसका अंग्रेजी संस्करण ही खरीदना चाहेंगे।

हृदयसे आपका,

श्री आर० ए० ऐडम्स

मन्त्री, ब्रिटिश ऐंड फॉरेन बाइबिल सोसाइटी

१७०, हॉर्नबी रोड, बम्बई

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०९८०) की माइक्रोफिल्मसे।

३१५. पत्र : आ० टे० गिडवानीको

आश्रम
साबरमती
१२ अगस्त, १९२६

प्रिय गिडवानी,

कताई-शिक्षक भरत कल यहाँसे प्रेम महाविद्यालयके लिए रवाना हो चुके थे। आशा है आपके पास सकुशल पहुँच गये होंगे।[१] उन्होंने अपना उपनाम भरत इसलिए रखा है कि वे अपने अन्दर तुलसीदासकी 'रामायण' के भरत-जैसे गुण पैदा करना चाहते हैं। आशा है कि वे आपको काफी कुशल और मेहनती लगेंगे। वे अपनी आँखोंकी ज्योतिकी कमजोरीकी शिकायत करते हैं। आपके यहाँ जाने से पहले, डाक्टरने उनकी आँखोंकी परीक्षा की थी; पर उन्हें उनमें कोई खराबी नजर नहीं आई। फिर भी अगर वे शिकायत करें तो आप जो उचित समझें वह करें। भरत आपको एक तकली देंगे। कुछ दिन पहले आपके पास एक तकुआ भी भेजा था। आपके यहाँके लोगोंको एक बार फिर प्रयास करके हमारी जरूरतकी चीज तैयार करनी चाहिए।

रायने प्रार्थनाके सम्बन्धमें जो शंका उठाई है, उसके बारेमें आप नहीं चाहते कि में उसका समाधान करूँ।

स्टेंजरके लोगोंको जैसा शिक्षक चाहिए वैसा इस समय मिल नहीं रहा है। मैं वह पत्र लौटा रहा हूँ, शायद आपको उसकी जरूरत पड़े।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२७२) की माइक्रोफिल्मसे।

३१-२०
  1. देखिए "पत्र : आ० टे० गिडवानीको", ६-८-१९२६ ।