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३१३. क्या अहिंसाकी कोई सीमा है?

एक सज्जनने, अपना पूरा नाम पता देकर एक लम्बा पत्र भेजा है। उसका कुछ भाग नीचे दिया जाता है।

आप शायद जानते होंगे कि मद्रासमें इस समय कांग्रेसके कार्यकर्ताओंके साथ क्या हो रहा है। गत दो दिनोंमें 'जस्टिस' पार्टीवालोंने उनके साथ दुर्जनताकी हद कर दी है। कांग्रेसके उम्मीदवार श्रीयुत··· के लिए श्रीयुत···साथ श्रीयुत··· मतदाताओंसे पैरवी कर रहे थे। 'जस्टिस' पार्टीका एक दल इनके पीछे-पीछे लगा फिरता था। जब ये लोग 'जस्टिस' पार्टीके उम्मीदवारके घरके पास पहुँचे, तब जस्टिस पार्टीवालोंन कांग्रेस कार्यकर्त्ताओंको अचानक घेर लिया और··· के और··· के मुँहपर थूक दिया।··· आपको लिखनेका उद्देश्य यही है कि आप अपने अहिंसाके सिद्धान्तका खुलासा करें कि ऐसे घोर अपमानकी गम्भीर स्थितिमें कांग्रेसवालोंका क्या कर्त्तव्य है। चिढ़ानेवाली उनकी यह कार्यवाही दिनपर-दिन बढ़ती जा रही है और कांग्रेसवालोंके लिए शायद किसी दिन अपने नौजवानोंको हिंसाके मार्गपर ले जाने से रोकना असम्भव हो जायेगा। इसलिए मैं आपसे पूछता हूँ कि क्या व्यक्तिगत रूपसे अत्याचारसे अपना बचाव करना अहिंसा के सिद्धान्तसे मेल खाता है? यदि हाँ, तो किन शर्तोंपर?··· सुनते हैं कि 'जस्टिस' पार्टीवाले गुंडागर्दीका प्रयोग करके प्राप्त सफलताके आधारपर इसे राजनीतिक युद्धका बाकायदा अस्त्र बनाकर आगामी नवम्बर मासमें असेम्बली और कौन्सिलके चुनावके समय कांग्रेसके विरुद्ध इससे काम लेना चाहते हैं।

आदमियों और स्थानों के नाम मैंने जानबूझकर हटा दिये हैं, क्योंकि उनसे मुझे यहाँ कोई सरोकार नहीं है। प्रसंगोचित अहिंसाका जमाना बहुत दिन हुए बीत गया। जो मनसे अहिंसक नहीं रह सकते उन्हें पत्रलेखककी बतलाई हुई स्थितिमें भी अहिंसक बने रहने के लिए कोई बाध्य नहीं करता। अहिंसा, कांग्रेसका सिद्धान्त है तो सही परन्तु आज अहिंसक बने रहने के लिए किसीको कांग्रेसके सिद्धान्तकी परवाह नहीं है। आज जो कांग्रेसी अहिंसक है, सो इसलिए कि उसमें हिंसक होनेकी शक्ति नहीं है। इसलिए मेरी दो टूक सलाह यही है कि किसी भी कांग्रेसीको मेरे पास या किसी दूसरे कांग्रेसीके पास, अहिंसाके प्रश्नपर सलाह लेने जानेकी जरूरत नहीं है। सभीको अपनी ही जिम्मेवारीपर काम करना होगा और अपनी ही बुद्धि और विश्वासके अनुसार कांग्रेसके सिद्धान्तका अर्थ लगाना होगा। मैंने प्रायः देखा है कि उन्हीं निर्बल मनुष्योंने कांग्रेसके मन्तव्यकी या मेरी सलाहकी आड़ ली है, जो अपनी कायरताके कारण अपनी या अपने आश्रितोंकी इज्जत की रक्षा नहीं कर सके हैं। यहां बेतियाके निकटकी एक घटना