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पत्र : छोटालाल गांधीको

में नवयुवक भरतके हाथ तकलीका एक नमूना भी भेजूंगा।[१] उसे जल्दीसे-जल्दी भेजा जायेगा।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२७१) की माइक्रोफिल्मसे।

२९२. पत्र : छोटालाल गांधीको

आश्रम
६ अगस्त, १९२६

भाईश्री ५ छोटालाल,

आपका पत्र मिला। कई बार यह समझना कठिन हो जाता है कि धर्म क्या है। आप एक बैंकके व्यवस्थापक मण्डलके सदस्य बननेके बाद बैंकके नियमोंके प्रतिकूल कार्य नहीं कर सकते। बैंककी न तो ऐसी कोई धारा होगी और न हो सकती है कि अमुक-अमुक धन्धे करनेवाले अथवा अमुक धर्मके अनुयायीको रुपया नहीं दिया जा सकता। प्रस्तुत उदाहरणसे तो यही बात प्रकट होती है कि आपको बैंक-जैसी संस्थामें नहीं रहना चाहिए। लेकिन यदि आप इसमें रहते हैं, तो आप उसके वर्तमान दोषोंमें भागीदार अवश्य हैं। मेरे कहनेका अभिप्राय यह है कि जबतक आप बैंकमें हैं तबतक आपको अपना मत, प्रार्थीके धन्धे और धर्मका विचार किये बिना, बैंकके पैसेकी सुरक्षाका ध्यान रखते हुए देना चाहिए।

मोहनदासके वन्देमातरम्

श्री छोटालाल घेलाभाई गांधी
अंकलेश्वर

गुजराती पत्र (एस० एन० १९९४३ ए) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. देखिए "पत्र : आ० टे० गिडवानीको", १२-८-१९२६ ।