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पत्र : सतीशचन्द्र दासगुप्तको

कि और अधिक तथ्य प्रकाशमें आयें तथा स्थितिके बारेमें और जानकारी मिले। लेकिन उत्कलका काम सीधे यहाँसे चलानेका कोई सवाल ही नहीं था। मैं उनके वापस आनेपर ही इसके बारेमें आगे लिख सकूँगा । इस बीच मुझे उनकी एक शर्त याद आती है, जो मुझे भी पसन्द आई थी। अब चूँकि उत्कलका कार्य हमारा अपना मामला है, इसलिए उत्कल कार्यकी रिपोर्ट देनेके लिए किसी विशेष निरीक्षककी आवश्यकता नहीं। निरंजनबाबू स्वयं हमारे अपने आदमी हैं।

हमारे वकील श्री मावलंकरका कहना है कि सर प्रफुल्लचन्द्र रायके न्यास पत्रमें शामिल शेयर भी अगर मंसूख नहीं होते तो सिर्फ उस न्यासपत्रको मंसूख करनेसे स्थिति निरापद नहीं होगी। नियमतः श्री मावलंकरका कहना सही है और चूँकि जमानत देनेकी व्यवस्था मौजूद है, इसलिए मेरे खयालसे उसकी कार्रवाई पूरी की ही जानी चाहिए। क्या शेयरोंको अपने कब्जेमें लेनेमें कोई दिक्कत होगी? आपकी जानकारीके लिए मैं श्री मावलंकरके पत्रकी[१] एक प्रति संलग्न कर रहा हूँ।

आप 'यंग इंडिया' के इसी अंकमें प्रकाशित आँकड़े देखेंगे। आप कृपया किसी व्यक्तिसे खादी प्रतिष्ठान कार्यके लिए तालिका तैयार करनेके लिए कह दीजिये।

हेमप्रभा देवी अब कैसी हैं?

हृदयसे आपका,

श्रीयुत सतीशचन्द्र दासगुप्त

खादी प्रतिष्ठान
१७०, बहू बाजार स्ट्रीट

कलकत्ता
[ पुनश्च : ]

संघको लिखे आपके एक पत्रसे मैंने जाना कि आपने ५,००० रुपये ६ प्रतिशत और ५,००० रुपयेकी अन्य एक रकम १२ प्रतिशत सूदकी दरपर ले रखी है। आशा है कि यह लेन-देन चोखा है। मैं आपको आगाह कर चुका हूँ कि जो सार्वजनिक कार्यकर्ता पर्याप्त निर्लिप्ततासे काम करता है उसके लिए निजी तौरपर कर्ज लेना और विशेषकर उसपर सूद देना एक बड़ी खतरनाक चीज है। लेकिन आप तो खुद ही अच्छी तरह जानते हैं कि क्या करना चाहिए और क्या करनेसे बचना चाहिए।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२२०) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. उपलब्ध नहीं है