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२८८. पत्र : जी० सीताराम शास्त्रीको

आश्रम
साबरमती
६ अगस्त, १९२६

प्रिय मित्र,

श्री बैंकर मुझे बताते हैं कि वे आपको समस्त भारतमें खादीके कार्यका लेखा रखनेके लिए आवश्यक, प्रदेशके कार्यके आँकड़ों और ऐसी अन्य जानकारीके लिए बार-बार लिखते रहे हैं। लेकिन उनका कहना है कि उन्हें आन्ध्रसे पूरे आँकड़े प्राप्त नहीं हो पाये हैं। मेरी इच्छा है कि आप इस कार्यको हाथमें लें और आँकड़े पूरे करके भेजें।

मैंने 'यंग इंडिया' में जो तालिका प्रकाशित की है, आप उसे देखेंगे। मैं इस तालिकाको पूर्ण बनाना चाहता हूँ । लेकिन जबतक मुख्य-मुख्य केन्द्र मुझे पूरी जानकारी नहीं देते तबतक यह नहीं हो सकता। क्या आप मुझे बतायेंगे कि आँकड़े तैयार करने और भेजने में क्या कठिनाई है?

हृदयसे आपका,

जी० सीताराम शास्त्री
गुण्टूर

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२१९) की माइक्रोफिल्मसे।

२८९. पत्र : सतीशचन्द्र दासगुप्तको

आश्रम
साबरमती
६ अगस्त, १९२६

प्रिय सतीश बाबू,

मैंने उत्कल सम्बन्धी पत्र-व्यवहार देखा है। निरंजनबाबूका पत्र मिलते ही उनको ५,०००[१] रुपया भेजनेका प्रबन्ध कर दिया गया। यह रकम उनको अबतक मिल चुकी होगी। उत्कलकी जो जिम्मेदारी आपको सौंपी गई थी उससे आप अपनेको मुक्त न मानिये। बात असलमें यह हुई कि निरंजनबाबू द्वारा भेजे गये कागजात देखनेके बाद मैंने नारायणदाससे उनके साथ पत्र-व्यवहार करनेके लिए कहा, जिससे

  1. देखिए "तार : जमनालाल बजाजको", ३-८-१९२६ या उसके पश्चात्।