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पत्र : विट्ठलभाई झ० पटेलको

अबतक विजय प्राप्त नहीं कर पाया हूँ और यह इसलिए कि मैं इससे बेखबर हूँ। मेरी समझमें तो मैं किसी प्रतिवादकी आशंकाके बिना यह कह सकता हूँ कि कोई भी व्यक्ति आजतक मेरे लिए केवल अपने अनुगामियोंकी संख्या ज्यादा होनेके कारण महत्त्वपूर्ण नहीं रहा। सेवा-सम्बन्धी अपनी विशिष्ट धारणाके कारण संख्याके प्रति में उदासीन रहता हूँ। फिर भी मुझे यह जानकर बड़ा सन्तोष हुआ है कि आपने अपने प्रति मेरे व्यवहारमें कभी किसी प्रकारकी उदासीनताका अनुभव नहीं किया।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्रीयुत मु० रा० जयकर

३९१, ठाकुरद्वार

बम्बई- २

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ११३२५) की फोटो-नकलसे।

२६५. पत्र : विट्ठलभाई झ० पटेलको

आश्रम
साबरमती
१ अगस्त, १९२६

प्रिय विठ्ठलभाई,

आपका पत्र[१] तथा १६२५ रुपयेका एक और चैक मिला।

आपने जिन परिस्थितियोंका उल्लेख किया है उनके विचारसे में पत्र-व्यवहार अभी प्रकाशित नहीं करूंगा। जैसा कि आपका कहना है, यह आगे चलकर जब अधिकांश चुनाव पूरा हो जायेगा, प्रकाशित किया जा सकता है। जब यह प्रकाशित किया

  1. विठ्ठलभाई पटेलने अपने २८ जुलाई के पत्रमें लिखा था कि मैं अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा होनेपर दुबारा चुनाव लड़ना चाहता हूँ ताकि विधान सभामें वैसी ही प्रथा कायम हो सके जैसी कि इंग्लैंडकी संसदमें है। अगर विधानसभा मुझे चुन लेती है तो मैं अपने वेतनमें से तीन सालतक अंशदान करनेकी यही व्यवस्था जारी रखना चाहता। मैं यह नहीं कह सकता कि इस समय हमारा पत्र-व्यवहार प्रकाशित करना कहाँतक उचित होगा। अगर उसे प्रकाशित किया गया तो मुझे ऐसी आशंका है कि कुछ हल्कोंमें लोग ऐसा मान बैठेंगे कि यह मैंने मतदाताओंको अपने पक्ष में करनेके लिए किया है। आप जानते ही हैं कि बदकिस्मतीसे मेरे प्रतिद्वन्द्वी ऐसे भी हैं जो मेरे लिए अड़चनें पैदा करनेके खयालसे राष्ट्रीय हित-अहितकी परवाह किये बिना हर तथ्यको तोड़-मरोड़कर पेश करनेसे जरा भी नहीं हिचकेंगे। इसलिए क्या आप यह ज्यादा अच्छा नहीं मानते कि इन परिस्थितियों में इस पत्रका प्रकाशन जनवरीतक, जबकि चुनाव समाप्त हो जायेगा और यह निश्चित तौरपर मालूम हो जायेगा कि मैं तीन साल तकके लिए विधानसभामें रहने जा रहा हूँ या नहीं, रोक रखा जाये (एस० एन० ११३२४)।