पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/२७८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२५०. पत्र : आ० टे० गिडवानीको

आश्रम
साबरमती
३० जुलाई, १९२६

प्रिय गिडवानी,

आपका पत्र मिला। नमूनेके तौरपर एक तकली भेजी जा चुकी है। आशा है, कारखाना हमारे लिए नमूनेके ही मुताबिक तकलियाँ तैयार करेगा।

केवल अंगूरोंकी ही नहीं बल्कि दूसरी चीजोंकी भी [ पैदावारके लिए ] खाद- सम्बन्धी साहित्य मुझे अबतक कई जगहोंसे मिल चुका है; इसलिए अब आपके मित्र मुझे जो कुछ भेजेंगे वह इसमें वृद्धि करेगा।[१]

कताई और बुनाई सिखानेके लिए मैं आपको संयुक्त प्रान्तसे आया हुआ एक बहुत अच्छा हिन्दीभाषी तरुण कार्यकर्ता भेज सकता हूँ।[२] वह है तो लगभग अनपढ़ ही, लेकिन बड़ा उद्यमी है। वह हिन्दी और अच्छी सीखना चाहता है। गणित सीखनेकी भी उसकी इच्छा है। अगर उसे वहाँ हररोज दो घंटे किसी कक्षामें बैठनेको मिल सकें तो वह इतनेसे ही सन्तुष्ट हो जायेगा। आपको उसे खाने, रहने और जाने-आनेका खर्च देना पड़ेगा। इसके सिवा और कुछ नहीं। अगर आप समझते हों कि यह ठीक होगा तो मैं उसे तुरन्त भेज सकता हूँ। वह धुनाई, कताई, बुनाई सब जानता है और 'डिमॉन्स्ट्रेटर' के रूपमें जहाँ-तहाँ जाता ही रहता है।

गंगाबहनसे लिखने और अपनी धमकीपर अमल करनेको कहें। जब वे इतिहास-भूगोलकी पढ़ाई पूरी कर चुकें तब वे अपनी पढ़ाईको पूर्णता प्रदान करनेके खयालसे कताई, घुनाई आदिमें सिद्धहस्तता प्राप्त करनेके लिए यहाँ आ सकती हैं। अगर वे करोड़ों लोगोंके दुःख-दर्दकी साथी बनना चाहती हैं तो इन शिल्पोंको सीखकर ही वे ग्रामोद्धारका काम शुरू कर सकती हैं।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२६९) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. गिडवानीने अपने एक मित्रको, गांधीजीको अपने बगीचेके अंगूरोंका नमूना भेजने और उसकी खादके विषय में जानकारी देनेके लिये लिखा था।
  2. गिडवानीने एक शिक्षक भेजनेके लिये लिखा था।